गुरुवार, 1 नवंबर 2012

गैरसैंण अब गैर नहीं, तीन को होगी गैरसैंण में कैबिनेट बैठक

गैरसैंण अब गैर नहीं, तीन को होगी गैरसैंण में कैबिनेट बैठक
बैठक से राजनैतिक दूरगामी परिणामों की भी उम्मीद
पहाड़ी जिलों को कांग्रेस सरकार क्या सौगात देती है?
युवओं के साथ नेताओं ने भी किया पहाड़ से पलायन
राजेन्द्र जोशी
देहरादून, 1 नवम्बर । आगामी तीन नवम्बर को गढ़वाल और कुमाउं के केंद्र बिंदु गैरसैंण में होने जा रही बहचर्चित कैबिनेट बैठक पर समूचे पहाड़वासियों की निगाहें टिक गई है, उम्मीद की जा रही है कि इस अवसर पर बहुगुणा सरकार पहाड़ के मूलभूत विकास से संबंधित सहित पहाड़ में पलायन जैसी गंभीर समस्याओं से निपटने और पहाड़वासियों के कष्ट दूर करने संबंधी कुछ महत्वपूर्ण निर्णय ले सकती है। जहां इस बैठक पर पक्ष और विपक्ष में वॉक युद्ध भी छिड़ गया है, वहीं इस बैठक के राजनैतिक दूरगामी परिणामों की भी उम्मीद की जा रही है।
राज्य के असतित्व में आए 12 साल होने को हैं, इन 12 सालों में राज्य में राज कर रही सरकारों के लिए पर्वतीय राज्य का प्रतीक गैरसैंण भले ही गैर रहा हो, लेकिन छहः माह पूर्व राज्य में सत्तारूढ़ बहुगुणा सरकार के लिए गैरसैंण गैर नजर नहीं आ रहा। मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के दिन से ही मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की गैरसैंण में कैबिनेट मीटिंग करने की बहुप्रतिक्षित योजना तीन नवम्बर साकार होने जा रही है। वहीं सरकार द्वारा गैरसैंण में कैबिनेट बैठक को लेकर तैयारियां जोरों पर है और उत्तराखण्ड के पहाड़ियों की नजर गैरसैंण में होने वाली कैबिनेट बैठक के निर्णयों पर लगी हैं कि आखिर राज्य आदांेलन के प्रतीक रहे गैरसैंण सहित पहाड़ी जिलों को कांग्रेस सरकार क्या सौगात देती है।
राजनैतिक हलकों में गैरसैंण में कैबिनेट बैठक को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा प्रदेश सरकार द्वारा अपने संसाधन बढ़ाने की दिशा में उठाए जा रहे कदम बताए जा रहे हैं। एक जानकारी के अनुसार राज्य सरकार द्वारा गैरसैंण में होने वाली कैबिनेट बैठक से ऐन पहले पेट्रोल के दामों में वैट को हटाना शामिल बताया जा रहा है, इससे राज्य सरकार को 80 करोड़ रूपया सालाना टैक्स के रूप में मिलेगा। वहीं राज्य सरकार जहां पानी पर टैक्स लगाकर अपना खजाना बढ़ाना चाहती है, वहीं राज्य सरकार ने अन्य प्रदेशों से राज्य में प्रवेश करने वाले वाहनों पर प्रवेश शुल्क लगाने की योजना को भी अमलीजामा पहना दिया है, इससे राज्य सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये की आय होने की उम्मीद है।
गैरसैंण में कैबिनेट बैठक पर उत्तराखण्ड के पहाड़ियों की नजर इसलिए भी लगी है कि अभी तक राज्य में सत्तारूढ़ दलों ने पर्वतीय क्षेत्रों की जो उपेक्षा की है, उसका सबसे ज्यादा खामियाजा पहाड़ के लोगों को ही भुगतना पड़ा है। पहाड़ों से रोजगार के तलाश में पलायन सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने आई है। युवाओं ने रोजगार की तलाश में सबसे ज्यादा पलायन किया तो वहीं प्रदेश में राजनीति करने वाले नेताओं ने भी राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन कर डाला। केंद्रीय मंत्री हरीश रावत अब जहां हरिद्वार की बात करते हैं तो वहीं यशपाल आर्य, कुमाउं के तराई की बात, ठीक इसी तरह विजय बहुगुणा भी सितारगंज और निशंक पर्वतीय क्षेत्रों से उतरकर डोईवाला जैसे मैदानी क्षेत्रों में ही राजनीति करने लगे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद होने के नाते गैरसैंण के हिमायती रहे हैं, वहीं प्रदीप टम्टा आदि पर्वतीय क्षेत्रों से चुनाव लड़ने वाले नेता पर्वतीय क्षेत्रों की आवाज उठाते रहे हैं। यही कारण है कि पर्वतीय क्षेत्रों में अपनी पकड़ कमजोर होते देख मुख्यमंत्री ने गैरसैंण में कैबिनेट बैठक करने की घोषणा की, ताकि कांग्रेस एक बार फिर से पर्वतीय क्षेत्रों में अपनी पैठ बना सके, वहीं विपक्ष ने इसे सरकार की गैरसैंण पिकनिक बताया है, विपक्षी दलों सहित उत्तराखण्ड क्रांति दल ‘‘पी‘‘ का कहना है कि क्या ही अच्छा होता कि बहुगुणा कैबिनेट के मंत्री और अधिकारी सड़क मार्ग से गैरसैंण पहुंचते और उन्हें पहाड़ी क्षेत्रों की दुर्दशा और पर्वतीय लोगों के पहाड़ से जीवन से रूबरू होने का मौका मिलता। लेकिन वे जौलीग्रांट से गौचर स्टेट प्लेन से जाएंगे और वहां से गैरसैंण हैलीकाप्टर से। विपक्ष ने राज्य सरकार पर गैरसैंण में पिकनिक मनाए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे कर्ज के बोझ तले दबे उत्तराखण्ड पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ेगा। वहीं समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता विनोद बड़थ्वाल ने कहा कि गैरसैंण में कैबिनेट बैठक कुछ घण्टे करने के बजाए सरकार को तीन दिन तक गैरसैंण में ही रहना चाहिए, ताकि पर्वतीय राज्य के प्रतीक रहे गैरसैंण से उनका जुड़ाव हो सके। उन्होंने तो यहां तक कहा कि मुख्यमंत्री को कैबिनेट बैठक के दूसरे दिन राज्य के सभी प्रमुख सचिव और सचिव के साथ बैठक और तीसरे दिन राज्य के जिलाधिकारियों के साथ बैठक करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कैबिनेट बैठक की सार्थकता तब ही है जब राज्य के अधिकारी और मंत्री पहाड़ को समझे और पर्वतीय राज्य के अनुरूप फैसले लें।

1 टिप्पणी:

  1. ये पहल उत्तराखण्ड राज्य निर्माण की अवधारणा के अनुरूप तो लगती है, लेकिन एक दिन की कैबिनेट क्या राज्य के विकास में कोई नया आयाम लिए पायेगी। कहीं ये सरकारी पिकनिक न हो जाय, जिसमें जनता का पैसा मंत्रियों के रहने खाने में ही खर्च हो जायेगा।

    जवाब देंहटाएं