गुरुवार, 28 मार्च 2013

अपने पर छींटे पड़ते देख पीछे हटे भाटी!

अपने पर छींटे पड़ते देख पीछे हटे भाटी!
अपने एससी त्रिपाठी को दी गई कमान
सत्य के सामने इस सरकार को झुकना पड़ा: रावत
राजेन्द्र जोशी
देहरादून। भाजपा शासनकाल में हुई गड़बड़ियों को लेकर कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए भाटी आयोग के अध्यख केवल राम भाटी ने स्वंय पर पड़ रहे छींटों के बाद आखिरकार सोमवार देर शाम अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को सौंप दिया। पूर्व आईएएस अधिकारी केवल राम भाटी की जगह पूर्व आईएएस अधिकारी एससी त्रिपाठी की अध्यक्षता में नया आयोग गठित किया गया है। यह आयोग 2007 से लेकर 2012 के बीच भाजपा शासनकाल के दौरान की अनियमितताओं की जांच करेगा। भाटी आयोग द्वारा प्रदेश सरकार को जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद भाटी पर आरोप लगे थे कि उन्होंने कांग्रेस से मिली भगत कर आयोग की रिपोर्ट को जहां मनगडण्त रूप से तैयार की, वहीं उनके और सरकार के द्वारा इस रिपोर्ट को विधानसभा में रखे जाने से पहले लीक कर दिया गया। इतना ही नहीं भाजपा के पूर्व मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केवल राम भाटी पर आरोप लगाया था कि उनके और कांग्रेस के बीच सांठ-गांठ है, इसी के चलते केवल राम भाटी ने डिफेंस कॉलोनी स्थित अपना आवास वर्ष 2008 में मुख्यमंत्री के करीबी विधायक सुबोध उनियाल को दिया था, जिस पर विधायक और प्रदेश के महाधिवक्ता रहते हैं। इतना ही नहीं बीज एवं तराई विकास निगम (पीडीसी) के पूर्व अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने भाटी आयोग की रिपोर्ट को नैनीताल उच्च न्यायालय में चुनौति देते हुए भाटी को ही पक्षकार बना डाला था, जिससे भाटी के सामने और समस्या खड़ी हो गई थी। इतना ही नहीं राजनैतिक दलों के बीच में फंसे भाटी को यह डर भी सताने लगा था कि यदि भविष्य में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो वह उनसे गिन-गिन कर बदला लेगी। यही कारण है कि इन झमेलों में फंसने के बजाए भाटी ने बीती दिन देर शाम मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया। 13 अप्रैल 2012 को भाटी आयोग के गठन को नोटिफिकेशन जारी हुआ था, वहीं 10 मई 2012 को आयोग को सौंप सौंपने का नोटिफिकेशन किया गया, पांच मार्च 2013 को भाटी आयोग द्वारा पीडीसी पर पहली जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी गई और 19 मार्च 2013 को सरकार ने यह रिपोर्ट विधानसभा में रखी।
    भाटी आयोग पर पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का कहना है कि भाटी जांच आयोग पर दबाव बनाकर प्रदेश में काबिज कांग्रेस सरकार ने बंद कमरे में रिपोर्ट तैयार कराई, इतना ही नहीं जांच आयोग ने अधिनियम के सेक्शन आठ-बी का भी उल्लंघन किया। उनके अनुसार आरोपियों का पक्ष भी जांच रिपोर्ट में आना चाहिए था, जो कि नहीं आया। भाटी जांच आयोग की रिपोर्ट और सिडकुल घोटाले को लेकर बीती 14 मार्च से आहुल विधानसभा सत्र मात्र पांच दिन ही चल पाया, जिसमें जहंा भाजपा ने सिडकुल घोटाले को हथियार बनाकर विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी, वहीं कांग्रेस ने भाटी आयोग का डर दिखाकर भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश की। अंततः चार दिन पूर्व भाटी आयोग की रिपोर्ट को एफआईआर मानते हुए कृषि अनुभाग के महावीर सिंह नेगी द्वारा कोतवाली में बेनामी रिपोर्ट दर्ज करा दी गई, जिसके बाद से भाजपा का पारा सातवें आसमान पर था।
    राजनैतिक हलकों में अभी यह मामला चल ही रहा था कि बीती शाम के.आर. भाटी ने मुख्यमंत्री को इस्तीफा सौंप दिया और प्रदेश सरकार ने यू.पी. कॉडर के रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर सुशील चंद त्रिपाठी की अध्यक्षता में एक सदस्यी जांच आयोग का गठन कर डाला। अब भाटी आयोग द्वारा उत्तराखण्ड बीज एवं तराई विकास निगम की रिपोर्ट सरकार को सौंपे जाने के बाद त्रिपाठी आयोग के पास स्टर्जिया बायो कैमिकल, सूक्ष्म एवं लद्यु जल विद्युत परियोजनाओं के आवंटन में धांधली, महाकुंभ घोटाला, आपदा राहत घोटाला और वर्ष 2007 से 2012 के बीच केंद्र पोषित योजनाओं में अनियमितताओं की जांच के साथ ही 2010 में ढेंचा बीज घोटाला और कार्बेट नेशनल पार्क में भूमि के विक्रय हस्तांतरण की जांच की जिम्मेदारी अब त्रिपाठी आयोग पर है। त्रिपाठी आयोग के गठन पर भाजपा नेता व पूर्व कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि सरकार द्वारा भाजपा पर दबाव बनाने की नियत से रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों के नेतृत्व में आयोग का गठन किया जा रहा है, जो कि सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार में थोड़ी भी ईमानदारी बची है तो उसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के नेतृत्व में आयोग गठित करने की जगह किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच करानी चाहिए।
वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत ने कहा कि भाटी आयोग के चेयरमैन के0आर0 भाटी के त्यागपत्र पर कांग्रेस का यह कहना कि राजनीति में सुचिता के लिए यह त्यागपत्र हुआ है। कांगेस्र का यह कहना कि यह त्यागपत्र लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और आयोग की सुचिता बनाये रखने के लिए किया गया है, पूर्णतः असत्य है क्यों कि यह सर्वविदित है कि जिस प्रकार से भाटी आयोग ने अनान-फानन में अपनी रिपोर्ट दी और बिना किसी ठोस सबूत पर लोगांे पर दोष मढे, ऐसा आज तक भारत के इतिहास में कहीं नही हुआ। तीरथ सिंह रावत ने अपने सभी विधायक, नेता प्रतिपक्ष को बधाई देते हुए कहा कि जिस प्रकार से सदन के अंदर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए संघर्ष किया गया वह प्रदेश की जनता के लिए और जन लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक था और सत्य के सामने इस सरकार को झुकना पड़ा। उन्होंने कहा कि सिड़कलु घोटाला जो कि हजारों, करोड़ों रूपये का है, पर भारतीय जनता पार्टी का संर्घष सदन के अन्दर और बाहर जारी रहेगा। त

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