बड़ासू गांव की नई पीढ़ी चढ़ी आपदा की भेंट
देहरादून ।
उत्तराखंड की तबाही का सरकारी आकलन होना अभी बाकी है। लाशों की गिनती अभी
बाकी है। लापता लोगों की तादाद पता करना बाकी है। लेकिन पीड़ित जानते हैं
कि इस तबाही का नुकसान क्या हुआ। इस तबाही ने क्या खत्म कर दिया। चारधाम
यात्रा या सैर-सपाटे के लिए उत्तराखंड गए लोगों को बाहर निकाल जाने के बाद
अब IBN7 प्रभावित गांवों का दुख-दर्द जानने में जुटा है। गुप्तकाशी से 20
किलोमीटर दूर एक गांव में 24 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से 20 मासूम
बच्चे थे। 12 से 16 साल के इन मासूमों की मौत से एक पूरी पीढ़ी खत्म हो गई।
दरअसल
गुप्तकाशी से फाटा इलाके के बड़ासू गांव करीब 20 किलोमीटर दूर है। बड़ासू
गांव में जिन 24 लोगों की मौत हुई है, उनमें से 20 स्कूल जाने वाले बच्चे
थे, वो छुट्टियों की वजह से अपने घर के बड़ों की मदद के लिए पैसा कमाने के
लिए रामबाड़ा गए हुए थे। लेकिन 16 जून की रात ने सब तबाह कर दिया।
उत्तराखंड सरकार अब तक ना जाने कितने ऐसे गावों को भूले हुए हैं।
बड़ासू
गुप्तकाशी के उन गावों में से एक है जो अब भी सरकारी मदद का इंतजार कर रहे
हैं। सिर्फ कुछ दिन पहले तक इस गांव में बड़ी चहल-पहल रहती थी। स्कूल जाने
वाले बच्चे दिन भर हुड़दंग करते, पैसा कमाने में घरवालों की मदद करते।
लेकिन अब सन्नाटा पसरा है। गांव के जिन बच्चों की उत्तराखंड त्रासदी के
दौरान मौत हुई उनमें से ज्यादातर 12 से 16 साल के थे।
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