शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

राहुल के दौरे से कांग्रेसियों में हड़कम्प



राहुल के दौरे से कांग्रेसियों में हड़कम्प



राजेन्द्र जोशी
देहरादून, 24 जून। कांग्रेस के युवराज उत्तराखण्ड आये और उन्होने न तो मुख्यमंत्री से और न उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों को मुंह लगाया और सीधे पांच जीप्सियों के काफिले के साथ सीधे रवाना हो गये केदार घाटी की ओर। जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी खुद पीड़ितों का हाल जानने गये हैं क्योंकि आये दिन प्रदेश सरकार के आपदा राहत के मोर्चे पर फेल होने की शिकायतों ने कांग्रेस की चूलें तक हिलाकर रख दी  है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार के आपदा राहत पर लचर रवैये से प्रभावित परिवारों में आक्रोश बढ़ता देख कांग्रेस आला कमान ने मुख्यमंत्री पर भरोसा न कर आपदा राहत कार्यो की निगरानी का जिम्मा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मोती लाल वोरा व अंबिका सोनी सहित एक कैबिनेट सचिव को सौंपा है। बदली इन सब परिस्थितियों को देखते हुए तो लगने लगा है कि बहुगुणा सरकार की कुर्सी खतरे की जद में है।
   
आज दोपहर जब कांग्रेस के युवराज जौलीग्रांट एयर पोर्ट पर पहुंचे तो प्रदेश कांग्रेस के किसी भी नेता को उनके आने की खबर तक नहीं थी, वे गुप्त दौरे के तहत जौलीग्रंाट पहुंचे थे उनके आने से पहले दिल्ली से पांच मारूति जिप्सियां हवाई अड्डे पर सभी आवश्यक सामान के साथ खड़ी थी। किसी को भी उनके आने की भनक तक नहीं थी यहां तक कि एयर पोर्ट अधिकारियों तक को भी नहीं केवल कुछ एक एसपीजी के सुरक्षा कर्मी वहां चहलकदमी कर रहे थे। लगभग डेढ़ बजे जैसे ही जहाज ने रनबे का रूख किया तमाम सुरक्षाकर्मी मुस्तैद हो गये और राहुल के बाहर आने का इंतजार करने लगे। जैसे ही राहुल बाह आये वे सीधे जिप्सियों की ओर बढ़े और चल दिये ऋषिकेश की ओर। नरेन्द्रनगर होते हुए उनका सीधे केदारघाटी की ओर जाने के कार्यक्रम की जानकारी सूत्रों ने दी है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राहुल गांधी बीते दिन ही विदेश यात्रा से दिल्ली लौटे हैं और उन्हे उत्तराखंड में आयी भीषण त्रासदी की जानकारी पहले ही मिल गयी थी जबकि उनको प्रदेश सरकार के नकारापन व राहत कार्यों में लचर रूख की जानकारी भी दिल्ली में कांग्रेस के आला नेताओं सहित राहुल के साथ काम करने वाली टीम ने दे दी थी। जिसके बाद राहुल ने स्वयं प्रभावित क्षेत्र में जाकर राहत एवं बचाव कार्यो की जानकारी लेने का निर्णय किया। इससे पहले सोनिया गंाधी को भी प्रदेश से मिल रहे फीड बैक के बाद राहत एवं बचाव कार्यो की निगरानी का जिम्मा कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता मोतीलाल चोरा व अंबिका सोनी को सौंप दिया था। वहीं सरकार के साथ मध्यस्थता के लिए केन्द्र सरकार से एक कैबिनेट सचिव को भी इनके साथ भेजा गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते दिनों से प्रदेश की ताजा मीडिया रिपोर्ट ने कांग्रेस के पेशानी पर बल डाल दिया था क्योंकि चार धाम यात्रा के दौरान इन धामों का रूख देश के लगभग सभी प्रान्तों के श्रद्धालु करते रहे हैं यही कारण है कि पूरे देश में राहत एवं बचाव कार्यों को प्रदेश सरकार की ओर से तीन दिन बाद शुरू किये जाने से भी लोग बुरी तरह खफा थे क्योंकि इस दौरान सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवा दी जिसका पूरे देश में प्रदेश में कांग्रेस सरकार  होने के नाते नकारात्मक प्रभाव देखा गया। इसके बाद सोनिया गांधी ने यह कहते हुए कि राहत एवं बचाव कार्यों में प्रदेश सरकार व संगठन दोनों फेल हुए है पर आवश्यक कदम उठाते हुए दो वरिष्ठ नेताओं के हाथ बचाव एवं राहत कार्यों की कमान दी इसका सीधा अर्थ है कि सोनिया गांधी मुख्यमंत्री के कार्यों से खासी नाराज है।
  
वहीं सोमवार को बिना प्रदेश के किसी भी नेता के राहुल के दौरे के भी कई सियासी मतलब निकाले जा रहे हैं। एक भी प्रदेश के नेता को साथ न लेना यह प्रदर्शित करता है कि उनके पास भी प्रदेश का फीड बैक ठीक नहीं है और वे स्वयं अपनी आंखों से मिले फीड बैक की तस्दीक करना चाहते हैं। यही कारण है वे किसी भी नेता या कार्यकर्ता को साथ नहीं ले गये। उनका गुप्तकाशी, सोनप्रयाग, गौरीकुण्ड व केदारनाथ तक जाने का कार्यक्रम है। राहुल गांधी के दौरे व सोनिया द्वारा प्रदेश में आपदा एवं राहत कार्यों में वोरा व अंबिका को लगाया जाना साफ इंगित करता है कि प्रदेश सरकार के मुखिया की कुर्सी पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।      

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