दर्शन सिंह कर रहा है पूजा कार्य
केदारनाथ मंदिर में पिछले चार दिनों से
देहरादून : केदारनाथ मंदिर परिसर में तबाही के शिकार
हुए लोगों के शव उठा लेने के बाद से वहां दीप जलाकर पूजा-अर्चना का काम शुरू कर
दिया गया है। बद्रीनाथ, केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश
गोदियाल ने गुप्तकाशी में बताया कि मंदिर के बाहर शव पड़े थे जिन्हें उठा लिया गया
है और अब वहां पूजा-अर्चना का काम शुरू हो चुका है।
उन्होंने कहा कि लोग
डरे हुए हैं और वहां जाने को कोई तैयार नहीं है इसलिए मंदिर समिति का अध्यक्ष होने
के नाते उन्होंने एक स्थानीय नागरिक को यह जिम्मेदारी सौंपी है। गोदियाल ने बताया
कि वह 22 जून को अपने साथ पूजन सामग्री लेकर
केदारनाथ पहुंचे और तीन दिन तक वहां पूजा-अर्चना करते रहे। अब उन्होंने चमोली गांव
के दर्शन सिंह को पूजा का काम सौंप दिया है।
यह परंपरा का
उल्लंघन तो नहीं है के सवाल पर उन्होंने कहा कि प्राथमिकता इंसानों को बचाने की है
लेकिन उन्होंने नियमित पूजन की परंपरा को बचाने के लिए यह प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि विधिवत पूजा-अर्चना कब से शुरू होगी इस बारे में निर्णय के लिए
जल्द ही मंदिर समिति की बैठक होगी। केदारनाथ मंदिर में तबाही के बाद से भगवान
केदार की उखीमठ स्थित गद्दी स्थल में पूजा-अर्चना हो रही है।
‘केदारेश्वर
ज्योतिर्लिंग का स्थानांतरण शास्त्र के विरुद्ध’
वहीँ वाराणसी के
काशी विद्वत परिषद ने उत्तराखंड स्थित केदारेश्वर लिंग के मूल स्थान से स्थानांतरण
के प्रस्ताव को शास्त्र विरुद्ध माना है। विद्वत परिषद के अनुसार ज्योतिर्लिंग यदि
खंडित भी हो जाये तो उसे स्वर्ण मण्डित कर पूजन का विधान है। परिषद ने आशंका जतायी
है कि यदि ज्योतिर्लिंग को मूल स्थान से हटाने की कोशिश की गयी तो और भी भयानक
परिणाम सामने आ सकते हैं।
गौरतलब है कि केदारनाथ के प्रधान पुजारी ने चार दिन पहले केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग को कहीं और स्थानांतरित करने का सुझाव दिया था। परिषद के अध्यक्ष पंडित राम पल शुक्ल की अध्यक्षता में कल शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानन्द सरस्वती के केदारघाट स्थित मठ में हुई बैठक में विद्वानों ने अग्निपुराणस, शिवपुराण, धर्म सिंधु और निर्षद सिंधु का उदाहरण देते हुए कहा कि केदारेश्वर मंदिर अथवा ज्योतिर्लिंग के साथ ऐसी कोई परिस्थिति नहीं है कि उसे अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए।
गौरतलब है कि केदारनाथ के प्रधान पुजारी ने चार दिन पहले केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग को कहीं और स्थानांतरित करने का सुझाव दिया था। परिषद के अध्यक्ष पंडित राम पल शुक्ल की अध्यक्षता में कल शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानन्द सरस्वती के केदारघाट स्थित मठ में हुई बैठक में विद्वानों ने अग्निपुराणस, शिवपुराण, धर्म सिंधु और निर्षद सिंधु का उदाहरण देते हुए कहा कि केदारेश्वर मंदिर अथवा ज्योतिर्लिंग के साथ ऐसी कोई परिस्थिति नहीं है कि उसे अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए।
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