मंगलवार, 9 जुलाई 2013

सुपिन घाटी का नहीं कोई सुध लेने वाला

सुपिन घाटी का नहीं कोई सुध लेने वाला
प्रशासन ने फेरा मुंह,
अतिवृष्टि से सुपिन नदी में आए उफान से मोरी के पंचगांई पट्टी के सात गांवों के संपर्क मार्ग और पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए ऐसे में इन गांवों तक आवाजाही करनी भी मुश्किल हो गई है। बीते 15 दिनों से जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति ना होने से इन गांवों में खाद्यान्न संकट भी गहराने लगा है।

जून 16 को अतिवृष्टि से मोरी पंचगाई पट्टी में मची तबाही से सुपीन नदी पर बने बैंचा, खेड़ा कच्ची पुलिया संपर्क मार्ग पूरी तरह से ध्वस्त हो गए है। संपर्क मार्गो के ध्वस्त हो जाने के बाद यहां सात गांवों में खाद्यान्न संकट गहराने लगा है। इससे पहले दो वर्ष पूर्व भी पंचगाई पट्टी में आपदा मं लिवाडी, फिताड़ी, सिरगा, सटुडी, रेक्चा, हरिपुर, कास्ला, राला गांवों को जाने वाले तमाम पैदल रास्ते और जखोल से आगे सुपीन नदी पर बने बैंचा खेड़ा पुल बहने से आवागमन ठप हो गया था। अब एक बार फिर आपदा की भेंट चढ़े संपर्क मार्ग और पुलों की बदौलत क्षेत्र में खाद्यान्न संकट गहराने लगा है। लविाड़ी, फिताड़ी, राला, कासला, रेक्चा, हरिपुर, सक्टूड़ी सांवणी आदि गांवों को जोड़ने वाले आधा दर्जन से अधिक पुलों संपर्क मार्ग के क्षतिग्रस्त होने से गांवों का प्रखंड के साथ जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया है।

आपूर्ति विभाग ने यहां रसद पहुंचाने से हाथ खड़े कर दिए है। बकौल आपूर्ति विभाग यहां केवल हेलीकॉप्टर के जरिये ही राशन पहुंचाया जा सकता है। वहीं जिला प्रशासन ने अब तक भी इस क्षेत्र का हाल जानने की कोशिश नहीं की है। उप खाद्य निरीक्षक एपी नौटियाल ने बताया कि नैटवाड, तालुका गोदाम में सिंतबर माह तक का राशन पहुंचा दिया गया है, लेकिन पुल रास्ते टूटने के बाद पंचगांई पट्टी के सात गांवों में राशन पहुंचाना फिलहाल मुश्किल है।


अतिवृष्टि से सुपिन नदी में आए उफान से मोरी के पंचगांई पट्टी के सात गांवों के संपर्क मार्ग और पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। ऐसे में इन गांवों तक आवाजाही करनी भी मुश्किल हो गई है। बीते 15 दिनों से जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति ना होने से इन गांवों में खाद्यान्न संकट भी गहराने लगा है।
  जून 16 को अतिवृष्टि से मोरी पंचगाई पट्टी में मची तबाही से सुपीन नदी पर बने बैंचा, खेड़ा कच्ची पुलिया संपर्क मार्ग पूरी तरह से ध्वस्त हो गए है। संपर्क मार्गो के ध्वस्त हो जाने के बाद यहां सात गांवों में खाद्यान्न संकट गहराने लगा है। इससे पहले दो वर्ष पूर्व भी पंचगाई पट्टी में आपदा मं लिवाडी, फि ताड़ी, सिरगा, सटुडी, रेक्चा, हरिपुर, कास्ला, राला गांवों को जाने वाले तमाम पैदल रास्ते और जखोल से आगे सुपीन नदी पर बने बैंचा खेड़ा पुल बहने से आवागमन ठप हो गया था। अब एक बार फिर आपदा की भेंट चढ़े संपर्क मार्ग और पुलों की बदौलत क्षेत्र में खाद्यान्न संकट गहराने लगा है। लविाड़ी, फिताड़ी, राला, कासला, रेक्चा, हरिपुर, सक्टूड़ी सांवणी आदि गांवों को जोड़ने वाले आधा दर्जन से अधिक पुलों संपर्क मार्ग के क्षतिग्रस्त होने से गांवों का प्रखंड के साथ जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया है।
  आपूर्ति विभाग ने यहां रसद पहुंचाने से हाथ खड़े कर दिए है। बकौल आपूर्ति विभाग यहां केवल हेलीकॉप्टर के जरिये ही राशन पहुंचाया जा सकता है। वहीं जिला प्रशासन ने अब तक भी इस क्षेत्र का हाल जानने की कोशिश नहीं की है। उप खाद्य निरीक्षक एपी नौटियाल ने बताया कि नैटवाड, तालुका गोदाम में सिंतबर माह तक का राशन पहुंचा दिया गया है, लेकिन पुल रास्ते टूटने के बाद पंचगांई पट्टी के सात गांवों में राशन पहुंचाना फिलहाल मुश्किल है।
   18000 बकरी वाले बुग्यालों में अब भी फंसे हुए हैं , ल्वादी में खाद्यान्न की भारी कमी के चलते लोग भूख से मरने की कगार पर हैं, अभी तक जिला प्रशासन का कोई भी नुमाँइन्दा भूख से मरने को मजबूर इन प्रभावी इलाकों में नहीं पहुंचा है, ग्रामीणों की ओर से ग्राम प्रधान हाकिम सिंह ने कहा की यदि 10 जुलाई तक प्रशासन का कोई भी व्यक्ति यहाँ नहीं पहुँचता है तक ल्वादी के 150 परिवारों के 1500 लोग भूख से बिलबिला उठंगे.


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