बुधवार, 17 जुलाई 2013

सेना के बाद आरएसएस और विहिप ने किया सराहनीय कार्य

सेना के बाद आरएसएस और विहिप ने किया सराहनीय कार्य
राजेन्द्र जोशी
देहरादून, 11 जुलाई  । भारतीय सेना के बाद यदि उत्तराखण्ड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में किसी ने मदद की है तो वह राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने की है। हादसे के बाद सो रही सरकार और लचर प्रशासन तंत्र की सुविधाओं को दरकिनार कर आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने केदारनाथ, गुप्तकाशी, जोशीमठ और धारचूला क्षेत्रों में वह कार्य कर दिखाया जो सरकारी अमला न कर पाया।
    आरएसएस ने गुप्तकाशी, फाटा, उखीमठ और गौचर, कर्णप्रयाग, जोशीमठ, मुनस्यारी क्षेत्रों में प्रभावित परिवारों को आपदा ग्रस्त क्षेत्रों से निकालकर उनकी शिशु मंदिरों में रहने की व्यवस्था की। विहिप के वरिष्ठ नेता शिव नारायण सिंह ने बताया कि विहिप ने उर्गम क्षेत्र में हुई आपदा के बाद उस समूचे क्षेत्र को गोद लेने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि विहिप द्वारा आपदा काल में 65 हजार लोगों से अधिक आपदा प्रभावित लोगों और तीर्थयात्रियों की भोजन की व्यवस्था की गई। उन्होंने बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों से निकाले जाने के बाद अपने गंतव्यों को जा रहे लगभग 35 हजार तीर्थयात्रियों को उन्होंने चाय और नाश्ते की व्यवस्था की, इतना ही नहीं 14 हजार तीर्थयात्रियों को प्राथमिक चिकित्सा देकर उन्हें उनके घरों को भेजा गया। शिव नारायण सिंह ने बताया कि विहिप द्वारा हरिद्वार से विभिन्न स्थानों को जाने वाले लगभग पांच हजार तीर्थयात्रियों को रेल के टिकट मुहैया कराए गए, इतना ही नहीं कई लोगों की ऋषिकेश, हरिद्वार और काठगोदाम में रहने की व्यवस्था भी विहिप द्वारा की गई। उन्होंने बताया के विहिप द्वारा पीपलकोटी, हरिद्वार, ऋषिकेश, कोटद्वार सहित छहः अन्य स्थानों पर स्थाई आपदा राहत शिविर बनाएं गए हैं, जिन पर एक हजार से अधिक कार्यकर्ता तैनात किए गए हैं। उन्होंने बताया कि संघ और विहिप द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कर आपदा में अपना सब कुछ गंवा चुके लोगों को बिस्तर से लेकर मोमबत्ती और खाना बनाने के बर्तन तक विश्व हिंदू परिषद उपलब्ध करवा रहा है। उन्होंने बताया के 1991 उत्तरकाशी में आए भूकंप के बाद विहिप द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में केदार कुटी स्थापित किए गए थे, उसी तर्ज पर केदारनाथ और उर्गम क्षेत्र में केदार कुटी का निर्माण किया जाएगा, ताकि उन ग्रामीणों को राहत मिल सके जिनके घर आपदा में बर्बाद हो गए।

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