शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

वीआईपी मूवमेंट से प्रभावित हो रहा राहत एवं बचाव कार्

वीआईपी मूवमेंट से प्रभावित हो रहा राहत एवं बचाव कार्य
हवाई सर्वेक्षण में व्यस्त नेता
राजेन्द्र जोशी
देहरादून, 21 जून। उत्तराखण्ड में प्रकृति के प्रकोप का भाजन हजारों तीर्थयात्री और स्थानीय लोग बने, लेकिन प्रदेश सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री केवल हवाई दौरों में व्यस्त हैं, संकुचित हवाई क्षेत्र होने के कारण वीआईपी मूवमेंट के चलते सेना को भी राहत और बचाव कार्य में परेशानी आ रही है। प्रदेश का कोई भी नेता या जिम्मेदार मंत्री प्रभावित क्षेत्र में तम्बू लगाकर प्रशासनिक अमले को साथ लेकर आपदा प्रबंधन में जुटता नहीं दिखाई दे रहा है। हालात ये हैं कि प्रदेश के मंत्री और मुख्यमंत्री आपदाग्रस्त क्षेत्रों में इस तरह दौरा कर रहे हैं, जैसे वे पिकनिक मनाने वहां जा रहे हों, जबकि प्रदेश के आपदाग्रस्त क्षेत्र में राहत एवं बचाव कार्य में सेना और अर्द्धसैनिक बलों के लोग कार्यरत हैं, जिनकी तीर्थयात्रियों सहित स्थानीय लोगों ने दिल खोलकर प्रशंसा की है, लेकिन प्रदेश के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के प्रभावित स्थल पर न होने को लेकर प्रभावित लोग प्रदेश सरकार को कोस रहे हैं।
    आपदाग्रस्त क्षेत्र पर राजनीति भी शुरू हो गई है। कभी कांग्रेस के आला नेता तो कभी भाजपा के आला नेता हवाई सर्वेक्षण में व्यस्त हैं, इस सर्वेक्षण के चलते आपदा और राहत कार्याें में लगे सेना के हैलीकाप्टरों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उत्तराखण्ड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले राज्य में वायु मार्ग नदियों के साथ-साथ घाटियों से होकर जाता है। ऐसे में दोनों ओर पहाड़ों के बीच हैलीकाप्टर के चलने के लिए सीमित स्थान रह पाता है। एक घाटी में एक साथ चार या पांच हैलीकाप्टर नहीं चल सकते, ऐसे में वीआईपी मूवमेंट के दौरान राहत कार्याें में लगे हैलीकाप्टरों को हैलीड्रम पर ही रोकना पड़ता है, जिससे राहत एवं बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है। प्रदेश सरकार का हर नेता सर्वेक्षण के नाम पर हवाई दौरे करने पर व्यस्त है, लेकिन ऐसा कोई भी नेता नहीं है जो प्रभावित क्षेत्र में प्रशासनिक अमले के साथ तम्बू लगाकर बचाव कार्य में अपना योगदान दें। वहीं इन नेताओं की हवाई यात्राओं से प्रकृति के कोप का भाजन बने तीर्थयात्री और स्थानीय लोग भी प्रभावित हो रहे हैं। यही कारण है कि स्थानीय लोग और तीर्थयात्री इन नेताओं का घेराव और बहिष्कार कर रहे हैं। शुक्रवार को भी सहस्त्रधारा हैलीड्रम पर आपदा मंत्री यशपाल आर्य और उनके साथ हवाई यात्रा पर निकले स्वास्थ्य मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी व केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत का जमकर विरोध हुआ।
    वहीं सहस्त्रधारा हैलीड्रम पर उतरे लोगों ने हैली कंपनियों पर शोषण का आरोप भी लगाया। लोगों ने बताया कि हैली कंपनी के लोग ढ़ाई लाख से लेकर आठ लाख रूपये तक श्रद्धालुओं में परिजनों की संख्या पर वसूल कर रहे हैं, लोगों ने कहा कि सरकार का यह दावा बिलकुल गलत है कि हैली कंपनियां मुफ्त में राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हैं।
            आपदाग्रस्त क्षेत्रों से बच कर आए कई लोगों का कहना है कि प्रदेश सरकार की उन्हें कहीं भी उपस्थिति नजर नहीं आई। दिल्ली से केदारनाथ यात्रा में हादसे के बाद बची दिल्ली की गीता ने बताया कि उन्हें छहः दिनों में कहीं भी प्रशासन और शासन नाम की चीज नहीं दिखाई दी, वे कई दिनों तक जंगल में फंसे रहे, हैलीकाप्टर उपर से गुजर गए लेकिन उनके लाल दुप्पटे हिलाने के बाद भी किसी ने उन्हें एक बिस्किट का टुकड़ा तक नहीं फेंका। अंततः जीवन और मौत से जूझते हुए वे स्थानीय लोंगों की मदद से ऋषिकेश तक पहुंची। उन्होंने बताया कि पर्वतीय क्षेत्र के ग्रामीणों ने हजारों लोगों की जान बचाई है, यदि स्थानीय लोग नहीं होते तो वे आज नहीं होती। उन्होंने कहा स्थानीय लोगों ने मेरे जैसे सैकड़ों लोगों की जान बचाई है। उन्होंने स्थानीय लोगों को इसके लिए तहे दिल से धन्यवाद भी किया।

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