मंगलवार, 9 जुलाई 2013

विधानसभा अध्यक्ष ने एक बार फिर भ्रष्टाचार पर जताई नाराजगी

विधानसभा अध्यक्ष ने एक बार फिर भ्रष्टाचार पर जताई नाराजगी
देहरादून,16 मई। लगभग पिछले 15 महीनों से उत्तराखण्ड में कांग्रेस सरकार काबिज है, लेकिन लगातार सरकार के कुछ नेताओं व ब्यूरोक्रेसी के कई छोटे बड़े अधिकारियों पर लगातार भ्रष्टाचार के दाग लगते आ रहे है। कई बार प्रदेश के राज्यपाल मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य की स्वास्थ्य, शिक्षा व बदहाल सड़कों की दशा सुधारने का सुझाव दे चुके है, लेकिन उसके बावजूद भी सरकार इस दिशा में एक कदम भी आगे बढ़ती नजर नहीं आई। अपने अल्प समय के कार्यकाल में सरकार टीवी चैनलों पर अपनी उपलब्ध्यिों के प्रचार में हर माह करोड़ों रूपया पानी की तरह बहा रही है, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार लोकसभा का उपचुनाव व निकाय चुनाव हार गई। जिसके बाद से प्रदेश के अंदर लगातार बहस छिड़ रही है कि सरकार के कई नुमाईंदों पर जिस तरह से भ्रष्टाचार के दाग लगते आ रहे है उससे प्रदेश की जनता काफी नाराज है, क्योंकि राज्य के अंदर विकास ठप पड़ गया है। विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल इन्हीं सभी बातों से आहत होकर ने एक बार फिर राजनीतिक, सामाजिक और सरकारी भ्रष्टाचार पर सरकार पर हमला बोला है, जिसके बाद सरकार में हलचल पैदा हो गई है और मुख्यमंत्री अब यह सफाई दे रहे है कि विधानसभा अध्यक्ष को अपना दर्द सरकार के सामने रखना चाहिए। ऐसे में अब राज्य के अंदर यह आवाज उठनी शुरू हो गई है कि बहुगुणा सरकार राज्य में फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए अब तो जागो? उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल कई बार सरकार के कामकाज को लेकर अपनी नाराजगी जता चुके है। बीते रोज एक बार फिर विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने मीडिया के सामने यह कहकर सरकार में भूचाल मचा दिया कि प्रदेश में चारों तरफ लूट मची है और इस हालात में राज्य को कैसे बचाया जाए। विस अध्यक्ष ने यहां तक कह डाला कि प्रदेश में भ्रष्टाचार की जड़े काफी मजबूत हो चुकी है। वहीं सरकार ने अब तक कई ऐसे फैसले लिए जिससे उसकी राज्य में जमकर किरकिरी हुई और कई मामलों में उसे रोल बैक करना पड़ा। सितारगंज फेस 2 में जमीनों के आवंटन को लेकर जहां सरकार पर भाजपा ने हमला बोला वहीं हरक सिंह रावत को तराई बीज के अध्यक्ष पद व पूर्व सैनिक कल्याण निगम के अध्यक्ष पद पर काबिज किए जाने से भाजपा ने सरकार पर जमकर हल्ला बोला। वहीं कोका कोला कंपनी को सहसपुर के छरबे इलाके में सैंकड़ों बीद्या जमीन दिए जाने का विरोध चल रहा है। ऐसे विवादित मामलों में सरकार की जमकर छिछलेदारी हो रही है और शासन-प्रशासन में जिस तेजी के साथ भ्रष्टाचार पनप रहा
है, उसको देखते हुए अगर बहुगुणा सरकार अब भी नहीं जागी, तो उसके लिए यह एक बड़ी मुसीबत साबित हो सकती है।

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