मंगलवार, 9 जुलाई 2013

सरकार से नाराज विधायकों की संख्या पहुंची दर्जन के आस-पास!


सरकार से नाराज विधायकों की संख्या पहुंची दर्जन के आस-पास!
नाराज विधायक विधानमण्डल दल की बैठक बुलाने पर अड़े
राजेन्द्र जोशी
देहरादून। बहुगुणा सरकार से नाराज विधायकों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है, एक जानकारी के अनुसार यह संख्या एक दर्जन तक पहुंच चुकी है और नाराज विधायक उन तमाम विधायकों के संपर्क में लगातार बताए जा रहे हैं, जो मुख्यमंत्री के कार्याें से नाखुश बताए गए हैं। इनमें सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे निर्दलीय और बसपा के विधायक भी बताए गए हैं।
    गौरतलब हो कि हरीशा धामी, मयूख महर, मनोज तिवारी, हेमेश खर्कवाल, ललित फरस्वाण और नारायण राम आर्य के बाद निर्दलीय विधायक दिनेश धनै, श्रीनगर से कांग्रेस विधायक गणेश गोदियाल और पौड़ी के विधायक सुंदरलाल मन्द्रवाल भी नाराज विधायकों के कुनबे में शामिल हो गए हैं। इन सबका अपनी विधानसभा क्षेत्रों में सरकार के 18 महीने बीत जाने के बाद भी विकास कार्याें का न होना और प्रदेश की नौकरशाही के बेलगाम होने की शिकायतें रही हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बीते दिन देर शाम इनमें से कुछ विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल से मुलाकात की है। गोविंद सिंह कुंजवाल ने भी ऐसे विधायकों से मिलने की बात स्वीकारी है और कहा कि सभी विधायकों की एक ही समस्या है। वहीं एक जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री से नाराज चल रहे विधायकों की संख्या अगले एक-दो दिन में डेढ़ दर्जन तक पहुंच सकती है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बीती पंाच जून से बीते तीन दिन पूर्व तक विधायकों और मुख्यमंत्री के बीच जमीं बर्फ पिघल रही थी कि अचानक प्रदेश प्रवक्ता के बयान ने विधायकों की नाराजगी पर दिए गए बयान को लेकर संधी सम्बंधों में बर्फ जम गई है। हालांकि प्रदेश प्रवक्ता के इस बयान से मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष ने उनके बयान को निजी बयान बताते हुए पल्ला झाड़ दिया है, लेकिन प्रदेश प्रवक्ता के बयान के कई मायने भी लगाए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश प्रवक्ता के बयान को उनका निजी बयान नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वे आर्य और मुख्यमंत्री के बहुत करीबी हैं, लिहाजा विरोधी गुट प्रदेश प्रवक्ता के इस बयान को आर्य और मुख्यमंत्री के लाख नकारने के बाद भी उन्हीं की साजिश बता रहा है।
    बहरहाल रेसकोर्स स्थित विधायक हॉस्टल से लेकर विधानसभा तक और विधानसभा से लेकर विधानसभा अध्यक्ष के आवास तक नाराज विधायकों की दौड़ जारी है, अधिकांश नाराज विधायक टेलीफोन पर जहां एक-दूसरे के संपर्क में बताए गए हैं, वहीं नाराज विधायकों की अगुवाई कर रहे विधायकों ने सरकार पर उनके फोन टैप करने का आरोप भी लगाया है। वहीं दूसरी ओर नाराज विधायक अब कांग्रेस विधानमण्डल दल की बैठक बुलाने पर अड़ गए हैं। उनका कहना है कि विधानमण्डल दल की बैठक में वे अपनी बात को ठीक तरह से रख पाएंगे।


विधानसभा अध्यक्ष की होगी महत्वपूर्ण भूमिका!
राजेन्द्र जोशी
देहरादून। जिस तरह से सरकार के प्रति नाराज विधायकों में तल्खी बढ़ती जा रही है, इससे यह लगने लगा है, यदि विधायकों की नाराजगी रंग लाई तो, ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाएगी। हालांकि अभी यह भविष्य के गर्भ में है कि प्रदेश की राजनीति क्या करवट बदलती है, लेकिन इतना तो साफ है कि यदि नाराज विधायक अलग गुट बना लेते हैं तो प्रदेश सरकार अल्पमत में आते ही गिर जाएगी।
    यहां यह भी उल्लेखनीय है कि विधायकों के अलग होने के बाद इसका सबसे बड़ा खामियाजा कांग्रेस की प्रदेश सरकार को उठाना पड़ेगा। राजनैतिक जानकारों के अनुसार कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष अपनी पिटिशन देगी कि इन विधायकों की सदस्यता को समाप्त कर दिया जाए, लेकिन यह सब विधानसभा अध्यक्ष पर निर्भर करेगा कि वह उनकी पिटिशन पर कब सुनवाई करते हैं, क्योंकि सुनवाई का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास विशेषाधिकार के रूप में सुरक्षित है। गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश और कर्नाटक राज्य इस तरह के उदाहरण स्वरूप हैं, जहां विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें