गुरुवार, 12 सितंबर 2013

86 दिन बाद केदारनाथ धाम के कपाट वर्ष में दूसरी बार खुले

86 दिन बाद केदारनाथ धाम के कपाट वर्ष में दूसरी बार खुले

नहीं पहुंच पाए मुख्यमंत्री, काबीना मंत्री ने कराई पूजा


राजेन्द्र जोशी
देहरादून, 11 सितम्बर। बीती 17 जून के बाद 11 सितम्बर (आज बुधवार) को 86 दिन बाद बारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदार के कपाट वर्ष में दूसरी बार खोल दिए गए। यह सनातन धर्म परम्पराओं में यह पहला मौका है, जब बाबा केदार की पूजा में न तो भक्त ही शामिल हुए और न ही स्थानीय तीर्थ पुरोहित। बुधवार प्रातः 7 बजे मंदिर के कपाट प्रधान रावल भीमशंकर लिंग शिवाचार्य ने खोले। द्वार की परम्परागत पूजा के बाद मुख्य रावल ने चुनिंदा लोगों के साथ गर्भ गृह में प्रवेश किया। हालांकि वर्ष में दूसरी बार खुले कपाट को लेकर कई तरह की मत भिन्नताएं थी, लेकिन सरकार ने जहां इसे ‘‘सर्वार्थ सिद्धि योग‘‘ बताकर इस समय को सबसे उपयुक्त समय बताया, वहीं हिंदु धर्माचार्याें ने रक्षाबंधन से लेकर नवरात्र के पहले दिन तक के समय को किसी भी शुभ कार्य के लिए उचित नहीं बताया।
    केदारनाथ मंदिर की स्थापना से लेकर आज तक का यह पहला मौका रहा, जब ज्योर्तिलिंग की पूजा के लिए केदारधाम में न तो तीर्थयात्री ही मौजूद थे और न तीर्थ पुरोहित। तीर्थयात्री और तीर्थ पुरोहित दोनों ही गुप्तकाशी से लेकर फाटा, रामपुर, सौनप्रयाग और गौरीकुण्ड में केदारनाथ जाने के लिए जद्दोजहद करते रहे, लेकिन प्रदेश सरकार की कड़ी चौकसी के बाद, ये लोग आगे नहीं बढ़ पाए। हालंाकि बुधवार प्रातः प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक अपने समर्थकों के साथ गौरीकुण्ड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर कूच कर गए थे।
    गुप्तकाशी से लेकर केदारनाथ तक सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के जमावड़े के अलावा चुनिंदा मीड़ियाकर्मी की मौजूदगी ही देखी गई। आज के इस कार्यक्रम की सफलता के लिए प्रदेश सरकार ने 18 निजी हैलीकाप्टर लगाए थे। पल-पल बदल रहे प्रकृति के मिजाज के चलते आपदा के बाद से आज तक केदारनाथ मंे पूजा कराने को आतुर प्रदेश के मुख्यमंत्री ही नहीं पहुंच पाए, जबकि प्रदेश काबीना मंत्री डा. हरक सिंह रावत, केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत, जिलाधिकारी दलीप जावलकर आदि बीते दिन ही केदारपुरी पहुंच गए थे।
    केदारनाथ की पूर्व विधायक आशा नौटियाल का कहना है कि प्रदेश सरकार के अधिकारी और मंत्री आपदा राहत कार्यों को करने के बजाय केदारनाथ मंदिर में पूजा करवाने को ज्यादा महत्व देते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि केदारनाथ मंदिर में पूजा कराने के बहाने प्रदेश सरकार मंदिर का शुद्धीकरण नहीं बल्कि अपना शुद्धीकरण कर रही है। वहीं दूसरी ओर तीर्थ पुरोहित समाज प्रदेश सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया है। तीर्थ पुरोहितों के अनुसार यह इतिहास का पहला अवसर है, जब किसी प्रदेश सरकार ने उनके परम्परागत हक-हकूकों के साथ खिलवाड़ ही नहीं किया बल्कि उन्हें उनके धाम में जाने से भी रोका। वहीं दूसरी ओर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिध के पूजा में बैठने पर भी विवाद हुआ, जबकि इस बात पर भी विवाद हुआ कि भगवान केदार के मंदिर मंे हवन के दौरान का महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहता है, लेकिन बुधवार को हुए हवन में क्षेत्रीय विधायक शैलारानी रावत सहित लक्ष्मी राणा और मधु भट्ट भी उपस्थित थी।




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