गुरुवार, 12 सितंबर 2013

पूजा आरंभ कराने का उद्देश्य है क्या ?

पूजा के पीछे सरकार का उद्देश्य क्या: खण्डूडी

सरकार पर चले हत्याओं का मुकदमा: निशंक

देहरादून, 11 सितम्बर (राजेन्द्र जोशी)। केदारनाथ में पूजा कराने को तो तमाम राजनैतिक दल ठीक मानते हैं, लेकिन पूजा के अलावा क्षेत्र के विकास, आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य, स्कूलों में बच्चो को शिक्षा, चिकित्सा और स्वास्थ्य व्यवस्था भी पूजा से पहले हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने कहा कि केदारनाथ धाम में पूजा तो ठीक है म
खंडूड़ी ने कहा कि केदारनाथ में पूजा को लेकर सरकार के साथ न तो तीर्थ पुरोहित हैं और न धर्माचार्याे की ही सहमति है, इस स्थिति में समझ नहीं आता कि सरकार का इस सबके पीछे उद्देश्य क्या है। यही नहीं, स्थानीय स्तर पर भी लोगों पर पाबंदी लगाए जाने से सरकार के खिलाफ माहौल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं पुनवार्स ज्यादा जरूरी है। सड़क संपर्क अब भी कई स्थानों पर कायम नहीं हो पाया है। लोग टैंट और स्कूलों में रहने को मजबूर हैं। स्कूल न खुलने से बच्चे तीन महीने से घर पर बैठे हैं।
उन्होंने सवाल किया कि जब 11 सितंबर की पूजा के बाद भी यात्रा आरंभ नहीं की जा रही है तो इसका औचित्य क्या है। सरकार बस श्रेय लेने की राजनीति कर रही है, जिसका कोई फायदा होने वाला नहीं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि पहले प्रभावित क्षेत्रों तक पूरा सड़क संपर्क कायम किया जाए, स्कूल खुलवाए जाएं और पीड़ितों तक राहत पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए।
पूर्व मुख्यामंत्री डा० निशंक ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा श्री केदारनाथ पूजा का नाटक जनता को रास नहीं आ रहा है और केदारनाथ धाम के पुरोहित पूजा का विरोध कर रहे हैं; यह पूजा कांग्रेस की पूजा होकर रह गयी है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ की पूजा का विज्ञापन देकर सरकार ऐसा प्रचार कर रही है जिसे असंभव को संभव करने जैसा हो। सरकार जिस स्तर तक नीचे गिर गया है इसका अहसास भी नही किया जा सकता है। आज भी उक्त क्षेत्र में हजारों शव बिखरे हुए हैं और उनके बाद पूजा का प्रवंध करना अजीब लगता है।
डा निशंक ने कहा कि सरकार की शीर्ष प्राथमिकता लोगों को बचाने की होनी चाहिए थी,लेकिन ऐसा नही हो पाया। प्रलय से डरकर जो लोग पहाडों की ओर जान बचाकर भागे उनको बचाने की जिम्मेदारी किसकी थी सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने पहले ही कहा था कि जो लोग जान बचाकर पहाडों की ओर भागे,लेकिन सरकार ने जानकारी के बावजूद बचाने की पहल नही की। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केदारनाथ की पूजा अब भी उखीमठ में चल रही थी और यदि केदारनाथ में पूजा आरंभ करनी थी तो तीन माह क्यों लगाया गया। उस समय साफ सफाई कर पूजा शुरू करायी जा सकती थी। पूर्व सीएम ने वहां के पुजारी परिवारों की चर्चा करते हुए कहा कि केदारनाथ के पुजारी अनुनय विनय कर रहे हैं कि उन्हें उनके घरों तक जाने दिया जाए। उनके मकानों में उनके परिवारों के लोग मृत पडे हुए हैं जिनका अंतिम संस्कार किया जाना है।
डा. निशंक ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार पर लोगों की हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। सरकार को इतनी मौतों का जवाब देना होगा। पांच हजार से अधिक नेपाली कहां हैं उनका आज तक कोई पता नही है। जिन लोगों के शव मिल रहे हैं उन्होंने भी डेढ दो माह तक जीवन से संघर्ष किया। कितना दुर्भाग्य है कि पूजा का दावा कराने वाली सरकार तीन माह तक पैदल रास्ता तक नही बना पायी। डा निशंक ने कहा कि सरकार को पूजा प्रारंभ ही करानी ही थी तो पुरोहितों को न ले जाकर एक पाप क्यों किया। पूजा पुरोहितों का विशेष अधिकार है।
गर ज्यादा जरूरी आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत कार्य हैं। सरकार यह स्पष्ट नहीं कर पाई है कि आखिर इस तरह पूजा आरंभ कराने का उद्देश्य है क्या।

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