बुधवार, 18 सितंबर 2013

नहीं टेक पाए केदार बाबा के यहां मत्था, सोनिया दरबार में बार-बार मत्था टेकने वाले बहुगुणा

नहीं टेक पाए केदार बाबा के यहां मत्था, सोनिया दरबार में बार-बार मत्था टेकने वाले बहुगुणा


राजेन्द्र जोशी
देहरादून । राजनैतिक दल भले ही किसी व्यक्ति को कितना भी शक्ति सम्पन्न बना दे, लेकिन प्रकृति और दैवीय शक्ति के आगे आखिरकार उसे नतमस्तक होना ही पड़ता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सोनिया दरबार में भले ही महीने में 10 बार माथा टेकते रहे हों, लेकिन भगवान केदार के दरबार में आज माथा टेकने से वे वंचित रह गए। तमाम सुख साधन होने के बावजूद मुख्यमंत्री की प्रकृति और दैवीय शक्ति के आगे नहीं चल पाई और वे दिल्ली से केदारनाथ की ओर नहीं उड़ पाए।
    गौरतलब हो कि 13 मार्च 2012 को उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद विजय बहुगुणा की दिल्ली की उड़ान शुरू हो गई और लगभग हर वीकेण्ड दिल्ली में ही बीतता रहा है। प्रदेश के अब तक के पूर्व मुख्यमंत्रियों के दिल्ली दौरे के रिकार्ड को तोड़ते हुए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा इस बार भी बीते चार दिनों से अभी तक दिल्ली से ही उत्तराखण्ड की सरकार चला रहे हैं। राज्य के नागरिक उड्डयन विभाग के अंतर्गत आने वाले स्टेट प्लेन और स्टेट हैलीकाप्टर की लॉग बुक से इस बात की तस्दीक होती है कि मुख्यमंत्री और उनके चहेते एक प्रमुख सचिव द्वारा सबसे ज्यादा प्रदेश के वायुयानों से हवाई यात्रा की गई, लेकिन बाबा केदार के दर्शनों के लिए वे नहीं उड़ पाए। 11 सितम्बर को बाबा केदार के मंदिर केदारनाथ में आपदा के 86 दिन बाद पूजा तो शुरू हो गई, लेकिन इस पूजा को सम्पन्न कराने में लगभग 46 करोड़ रूपया प्रदेश सरकार ने खर्च कर डाला। यह भी अपने आप में एक रिकार्ड है कि केदारधाम की पूजा करने के लिए किसी सरकार ने 46 करोड़ रूपया एक ही दिन में फूंक डाला हो। इसे प्रभु की माया ही कहेंगे कि सोनिया दरबार में महीने में लगभग 10 दिन हाजिरी बजाने वाला मुख्यमंत्री का गुरूर बाबा केदार के आगे नहीं चल पाया और वे बाबा के दर्शन से वंचित रह गए। यह भी किवंदन्ती है कि जिसे बाबा का बुलावा नहीं होता वो लाख कोशिश करे उनके दर्शन नहीं पा सकता, यही केदारनाथ में पूजा कराने को आतुर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ भी हुआ। पूजा भी हुई अर्चना भी हुई भगवान केदार से 86 दिनों तक पूजा न करने को लेकर प्रायश्चित भी किया गया, लेकिन पूजा में मुख्यमंत्री बहुगुणा नहीं पहुंच पाए।

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