बुधवार, 18 सितंबर 2013

निजी हाथों में खनन से बिगड़ेगा प्रदेश का माहौल!

निजी हाथों में खनन से बिगड़ेगा प्रदेश का माहौल!

राजेन्द्र जोशी
देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार ने भले ही खनन कार्याें के लिए राज्य कैबिनेट के पांच सदस्यों की एक उप समिति बनाई हो, लेकिन खनन के खेल में सरकार भी अपने हाथ धोना चाहती है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार गढ़वाल मण्डल विकास निगम, कुमाउं मण्डल विकास निगम, वन विकास निगम के अलावा निजी क्षेत्र को भी खनन कार्य देने पर विचार कर रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि निजी खनन माफियाओं के मैदान में आने से जहां प्रदेश सरकार के निगमों के सामने प्रतिस्पर्धा का माहौल होगा, वहीं इसका विपरीत असर राज्य की कानून व्यवस्था पर भी पड़ेगा। उत्तर प्रदेश के कालान्तर में राज्यवासी निजी हाथों में माफियाओं के आपसी वर्चस्व के लड़ाई का कोपभाजन बन चुके हैं और माफियाओं की आपसी गुटबंदी से कई लोगों को जान से भी हाथ धोना पड़ा है। राज्य बनने के बाद प्रदेश सरकार ने खनन को निजी हाथों में देने के बजाय प्रदेश के निगमों को सौंप दिया था, जिसके बाद से प्रदेश में अपराधों पर अंकुश भी लगा था। सूत्रों का यह भी दावा है कि यदि खनन निजी हाथों में दिया गया तो, उससे अनियोजित तरीके से जहां खनन होगा, वहीं पर्यावरण को तो नुकसान होगा ही साथ ही वन्य प्राणियों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, लिहाजा प्रदेश के पर्यावरणविद् सरकार के इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं। जिससे सरकार के मंसूबों पर पानी फिर सकता है। पुख्ता सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में खनन कार्यों को निजी हाथों में देने की पैरवी मुख्यमंत्री का मुंह लगा एक प्रमुख सचिव कर रहा है। विवदास्पद रहे इस प्रमुख सचिव के खनन माफिया पोंटी चढ्ढा से भी तत्कालीन समय में नजदीकी संबंध रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष नामधारी और पोंटी चढ्ढा के बीच दिल्ली के एक फार्म हुए गोलाबारी के दौरान उक्त प्रमुख सचिव भी वहां मौजूद था, लेकिन प्रशासनिक पकड़ होने के चलते वह पुलिस की गिरफ्त से दूर हो गया। सूत्रों ने यहां यह भी बताया है कि पोंटी चढ्ढा के परिजन दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही जांच से खुश नहीं है और वह इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच चाहते हैं। कुल मिलाकर प्रदेश सरकार बीते 13 वर्षों से शांत प्रिय उत्तराखण्ड में खनन कार्य सरकार के निगमों के साथ निजी हाथों में देकर प्रदेश की फिजा को बिगाड़ना चाहती है। सूत्रों ने तो यहां तक बताया है कि वर्तमान में सरकार हरियाणा और दिल्ली सहित उत्तर प्रदेश के खनन माफियाओं को उत्तराखण्ड में प्रवेश देने जा रही है।

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