बुधवार, 9 अप्रैल 2014

राज्य सरकार ने समाधान एनजीओ को जांच के बाद सेवा प्रदाता सूची से हटाया

बिना पंजीकरण के किया जा रहा था एनजीओ का संचालन
राजेन्द्र जोशी
ngo logoदेहरादून । उत्तराखण्ड में एनजीओ की आ़ड़ लेकर तमाम गैर कानूनी गतिविधियों को अंजाम देने वाले एक एनजीओ पर राज्य सरकार ने बिना पंजीकरण के सेवा प्रदाता बनाए जाने के मामले में उसे बाहर का रास्ता दिखाकर कानूनी कार्यवाही करने की तैयारी शुरू कर दी है। बहुगुणा सरकार के शासनकाल में इस एनजीओ पर कई शिकायतें होने के बाद भी किसी प्रकार की कार्यवाही केा अंजाम नहीं दिया गया था और महज जांच के नाम पर काफी समय तक शासन से लेकर प्रशासन तक के अधिकारी एनजीओ को बचाने का खेल खेलते रहे लेकिन प्रदेश में नए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कुर्सी पर बैठने के बाद से ही कई लम्बित मामलों में लोगांे को न्याय देकर और लोगों की समस्याआंे को जिस तरह से समझा और उनके निराकरण का प्रयास किया उससे लोगों में उनकी लोकप्रियता बढ़ी है।  
  गौरतलब हो कि उत्तराखण्ड के देहरादून स्थित जाखन में समाधान नाम की एनजीओ चलाकर महिला हितांे के संरक्षण करने का दावा करने वाले एक एनजीओ पर पिछले काफी समय से कई तरह के गोरख धंधो को अंजाम देने का आरोप लगता रहा है। इस गोरखधंधो में फर्जी एसिड अटैक के मामले से लेकर बलात्कार जैसे झूठे मुकदमें में फंसाने जैसे कई उदाहरण हंै। हालांकि इन मामलों में पुलिस की जांच के बाद हकीकत सामने आने के साथ ही इन फर्जी मामलों में सच सामने आ चुका है और पुलिस दोनों ही मामलों में अपनी अंतिम रिपोर्ट लगाकर मामलोें को झूठा साबित कर चुकी है। लेकिन सरकार से इस एनजीओ के विरूद्ध कार्यवाही होने के बाद अब सवाल यह उठ रहा है कि यदि यह दोनों मामले गलत थे तो आज तक पुलिस ने झूठे मुकदमे कायम करने पर उन लोगांे के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की जिनके द्वारा इस साजिश को अंजाम दिया गया था। इस मामले में पहला मामला दिल्ली निवासी विजय आनंद शर्मा का सामने आया था और शर्मा पर फर्जी एसिड अटैक को मुकदमा कायम कराने में रेनूडी सिंह नाम की एक महिला जो उक्त एनजीओ का संचालन करती है की मुख्य भूमिका सामने आई थी वहीं गढ़ी कैन्ट निवासी कृष्ण कुमार कश्यप के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा कायम करवा दिया गया था जो बाद में पुलिस की जांच के बाद पीडि़ता द्वारा सच बताने पर मामले को गलत साबित किया गया था। दोनांे ही मामलांे में समाधान की संचालिका रेनूडी सिंह की भूमिका सामने आई थी और इसके अलावा भी प्रदेश के देहरादून में कई अन्य लोगो को भी गैंगरेप जैसे मामलों में फंसाने का काम किया जा चुका है। अगर पुलिस समाधान एनजीओ की संचालिका रेनूडी सिंह की गतिविधियांे एवं कार्यों की गोपनीय जांच करे तो कई बड़े खुलासे सामने आ सकते हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर इतने समय तक एक एनजीओ बिना यहां पंजीकरण नही था तो आखिर इस एनजीओ को सेवा प्रदाता (सर्विस प्रोवाइडर) के रूप में किसके इशारे पर महिला एवं बालविकास विभाग में पंजीकृत किया गया।
   इस मामले में विजय आनन्द शर्मा ने राज्य सरकार से मांग की है कि सरकार इस मामले में जांच कर उन अधिकारियो के खिलाफ भी कार्यवाही करे जो इस एनजीओ को लाभ देने में उतने ही सहभागी हैं जिनके इशारे पर इतने समय तक एनजीओ को सर्विस प्रावाइडर के रूप में राज्य के भीतर लाभ दिया गया। हालाकि जांच के बाद अब राज्य सरकार ने समाधान एनजीओ को सर्विस प्रोवाइडर के रूप में गलत तरीके से काम करने एवं बिना पंजीकरण के एनजीओ के संचालन पर इसको अपनी सूची से बाहर कर उसका निरस्तीकरण कर दिया है। इस बारे में सचिव एस राजू के यहां से बकायदा इसका आदेश भी जारी किया जा चुका है और अब विभाग एनजीओ समाधान पर कानूनी कार्यवाही करने की तैयारी कर रहा है। वहीं समाधान एनजीओ के खिलाफ कार्यवाही होने पर दिल्ली निवासी विजय आनंद शर्मा का कहना है कि वह पिछले काफी समय से इस एनजीओ की गैरकानूनी गतिविधियो को उजागर करने के साथ इसकी शिकायत कर रहे थे और अब राज्य सरकार ने कार्यवाही की है। उन्होने मांग की है कि समाधान एनजीओ के यहां गैरकानूनी तरीके से रह रही महिलाएं एवं बच्चों को वहां से रिहा कराकर एनजीओ के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए और एनजीओ द्वारा अब तक जितने भी मामले उजागर किए गए हैं उनकी न्यायिक जांच की जानी चाहिए।

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