शनिवार, 2 अगस्त 2014

उत्तराखंड को अब और कितना डुबोयेगा ‘’राका’’


खनन में इस वर्ष राजस्व का नुकसान


राजेन्द्र जोशी

तीन -तीन मुख्यमंत्रियोंको खनन से भारी कमाईका सपना दिखाने वाला राज्य का चर्चित अधिकारी ’’राका’’ क्या हरीश रावत जैसे जमीनीनेता को भी उल्लू बना सकता है ....यह बात आज सत्ता के गलियों में चर्चा का विषय बनी हुई है ..''निशंक'' को सब्ज बाग़ दिखाने के बाद जब इस अधिकारी ने खण्डूरी को बताया कि वह खनन से 500 करोड़ का राजस्व कमा देगा तो उस समय राज्य की कमाई हुई कुल 110 करोड़ ,,इसके बाद प्रदेश केमुख्यमंत्री बने विजय बहुगुणा इसने उनको भी गुमराह किया और बताया कि राज्य को 1000 करोड़ का राजस्व वो देगायदि उसकी बात मानी जय तो उस समय भी राज्यको मिला 140 करोड़ ...अब आजइसने एक बार फिर हरीश रावत जैसे जमीनी नेता को यह समझाया कि वह राज्य का राजस्व 2000 करोड़ कर देगा मगर कैसे यह नहीं बता पाया ..जबकि एक जानकारी के अनुसार राज्य में खनन के लिए 12000 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध है जिससे अधिकतम 500 करोड़ का ही राजस्व प्राप्त किया जा सकता है ..जबकि मुख्य खनिज सोप स्टोन व मेग्नेसाईट से राज्य को पिछले साल मात्र 4 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था जो इस वर्ष अधिकतम 5 से 6 करोड़ तक ही हो सकता है
     वित्तीय वर्ष 2012-13 में जहां खनन से कुल 111 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था किन्तु विगत वित्तीय वर्ष 2013-14 में मात्र 235 करोड़ का राजस्व ही प्राप्त हो सका। आप सोच रहे होंगे कि 117% की बढोत्तरी हुई तो है और क्या चाहिये ? यह राका के कुशल नेत्रत्व का ही परिणाम है अब क्या उसकी जान लोगे? शायद दोस्तो राका भी इसे अपनी उपलब्धि गिनते हुए अपनी ही पीठ थपथपा हुए थक नहीं रहा होगा। मगर दोस्तो सच्चाई कुछ और ही है जिसे आपको जानना जरूरी है जिससे आप को पता चल सकेगा की कैसे सरकारी खजाना को लूटकर अपनी ही पीठ थपथपा रहा है।
एक जानकारी के अनुसार अप्रैल 2013 में राका ने खनिज पर देय रायल्टी की दर दुगनी अर्थात रु 45 से बढ़ा कर सीधे रु 90 कर दी थी। अब यदि विगत वर्ष 2012-13 के बराबर मात्रा में ही वर्ष 2013-14 में भी खनन हुआ होगा तो कुल राजस्व खुद ही 111 X 2= 222 करोड़ हो जाता है और विगत कई सालों का ट्रेंड ढेखने से पता चलता है की 15% राजस्व में व्रद्धि होना एक स्वाभाविक प्रवर्ति है। इस प्रकार 111 का 15%= 23 करोड़ का दुगना अर्थात 46 करोड़ जोड़ने पर 268 करोड़ होना चाहिये था। मगर प्राप्ति हुई मात्र 235 करोड़ मतलब 33 करोड़ की राजस्व हानि !!!!
इतना ही होता तो राका को माफ किया जा सकता था, मगर गहराई से जांच करने पर तो होश उड़ गए । तब पता चला की क्यू अपर मुख्य सचिव बन जाने के बाद भी वह सचिव खनन जैसे जूनियर पद को छोड़ क्यूँ नहीं रहा।
दरअसल 2012-13 में प्रदेश में जीतने क्षेत्रफल में खनन हुआ था उसके वनिस्पत वर्ष 2013-14 में 1000 हे0 अधिक क्षेत्रफल में खनन की अनुमति प्रदान की गयी थी मतलब 70 करोड़ का और अधिक राजस्व प्राप्त होना चाहिये था। इस प्रकार कुल राजस्व तो 338 करोड़ कम से कम मिलना चाहिये था। तो खनन राजस्व में ही 103 करोड़ का नुकसान राज्य को झेलना पड़ा है। इस साल तो ये भी बहाना नहीं है की खनन की मांग कम थे क्यूंकी इस साल भीषण आपदा से बर्बाद हुए इनफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण का काम युद्धस्तर पर हुआ है जिसमे उपखनिज की मांग को कई गुना बढ़ाया है पीर राजस्व का नुकसान हुआ कैसे? आखिर कौन देगा इसका जवाब खनन की राजस्व से एक और निसकर्ष निकलता है की ये जो 103 करोड़ का नुकसान सरकारी खजाने का हुआ है इसके सापेक्ष खनन का मुनाफा जो लगभग तीन गुना मतलब 310 करोड़ होता है ये किसी की जेब में गया है। ये किसकी जेब में गया है ये आप लोग आसानी से कयास लगा सकते है। अब तो रहम कर राका आखिर कहाँ लेकर डुबाएगा उत्तराखंड को।

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