बुधवार, 20 अगस्त 2014

निजी स्वार्थों की खातिर राज्य हितों से कर रहे बहुगुणा खिलवाड़

आखिर बौखला क्यों रहे हैं बहुगुणा

राजेन्द्र जोशी
देहरादून।  सवा दो साल तक उत्तराखंड राज्य को एक घुन की तरह खोखला करने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहे हैं। सत्ता से बेदखल होने के बाद से बहुगुणा बौखलाए से हैं और सूबे में अपने ही दल की सरकार को परेशान करने की जुगत में लगे हैं। हरिद्वार के तीन विधायकों को और वहां से जिलाध्यक्ष की ओर से सरकार को दी जा रही धमकी के मूल में भी बहुगुणा की सियायत मानी जा रही है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि निजी स्वार्थों की खातिर बहुगुणा आखिर कब तक उत्तराखंड के हितों से खिलवाड़ करते रहेंगे।
     2012 के विधानसभा चुनाव के बाद बहुगुणा ने अपनी बहन रीता बहुगुणा के 10 जनपथ से ताल्लुकातों का फायदा उठाया और दिल्ली के अन्य नेताओं से सैटिंग करके सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए। इसके बाद सवा दो साल तक सत्ता का सुख भोगते रहे। उस दौरान बहुगुणा सरकार पर तमाम गंभीर घोटालों के आरोप लगे। लेकिन बहुगुणा सत्ता की चमक के सहारे दिल्ली के नेताओं को मैनेज करते रहे। इतना ही नहीं प्रदेश  प्रभारी चौधरी बीरेन्द्र सिंह के एक रिश्तेदार  को राज्य में खनन का काम देकर वे उनसे जो चाहे करवाते रहे और राज्य में हो रही गड़बडियों की गतिविधियों की जानकारी आलाकमान तक से छिपायी जाती रही। इस दौरान उनके पुत्र साकेत बहुगुणा सुपर सीएम के रुप में काम करते रहे और राज्य के बिल्डर सहित माफियाओं से माल बटोरते रहे.
     वहीं बेहद चर्चित एक अफसर ने पिता-पुत्र को सोने के सिक्कों की चमक दिखाई तो दोनों इस चमक में ही खोए रहे। आलम यह रहा कि केदारधाम में भारी तबाही भी तीन दिनों तक पिता-पुत्र को नहीं दिखाई दी।क्योंकि उन दिनों ये दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के जन्म दिवस समारोह में थे।
आपदा के बाद पानी सिर से ऊपर जाता देख कांग्रेस हाईकमान ने बहुगुणा को सत्ता से बेदखल कर दिया और हरीश रावत को सूबे की कमान सौंप दी। इसके बाद से ही बहुगुणा बौखलाए हुए हैं। बहुगुणा के कार्यकाल में तय हुए तमाम सौदों को हरीश ने अंजाम तक नहीं पहुंचने दिया। इससे बहुगुणा प्रतिशोध पर आमादा हो गए हैं। उनकी तरफ से सरकार को अस्थिर करने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं। कभी कैबिनेट में अपने सिपहसालार को शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं तो कभी पीडीएफ के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं। इतना ही नहीं अपने कारनामों को भूलकर हरीश सरकार के खिलाफ हाईकमान के पास चक्कर लगा रहे हैं।
      ताजा मामला हरिद्वार के तीन विधायकों और कांग्रेस जिलाध्यक्ष का है। इन सभी ने सीएम को एक चेतावनी भरा खत भेजा है। इस खत की भाषा बेहद आपत्तिजनक है। इसमें कहा गया कि उनके क्षेत्र में अफसरों की तैनाती उनकी मर्जी के बिना न की जाए। सवाल यह है कि ऐसे में सरकार कैसे चलेगी। अगर विधायकों की मर्जी से ही अफसरों की तैनाती की जाएगी तब तो हरीश रावत चला चुके सरकार।
       अगर बात पत्र लिखने तक ही सीमित रहती तब भी माना जा सकता था कि विधायकों ने गुस्से में लिख दिया होगा। लेकिन पत्र भेजने से पहले ही इसे मीडिया में बकायदा प्रेस कांफ्रेस करके जारी किया जाना साफ इशारा करता है कि इसका मकसद केवल और केवल प्रदे”ा में कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश ही है। सियासी गलियारों चर्चा है कि यह काम भी बहुगुणा की शह पर किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि बहुगुणा की कोशिश है कि हरीश पर दबाव बनाकर राज्यसभा की खाली सीट पर कब्जा जमा लिया जाए। जाहिर है कि बहुगुणा को केवल अपने स्वार्थ ही दिखाई दे रहे हैं, उन्हें न तो राज्य की चिंता है और न ही इस देवभूमि की जनता की।

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