शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

आखिर ऋषिकेश और उत्तरकाशी में ट्रामा सेंटर में आखिर क्यों नहीं लग पाई सीटी स्कैन मशीन!

एक्सक्लूसिव स्टोरी ----

अपने-लाभ-के-लिए-खरीद-नीति-ही-बदलने-पर-आमादा-चर्चित-नौकरशाह-‘’राका’’

सीटी स्कैन मशीनों का इंतजार करते ट्रामा सेंटर

मुख्यमंत्री की घोषणा को भी नही तवज्जो

राजेन्द्र जोशी
हर खरीद में कमीशन, हर काम में कमीशन, हर नौकरी में रिश्वत, हर ट्रान्सफर में घूसखोरी, हर भुगतान पर डाका ,न्यायालयों के आदेशों से बेपरवाह और काम के मामले में जमकर हरामखोरी, बिना -लिए दिए यहाँ कोई काम हो हो गया तो समझो आप भाग्यशाली हैं..   यह है उत्तराखंड का सच. जिसको स्वीकार करने में आज किसी भी उत्तराखंडी को शायद कोई हर्ज़ नहीं होगा.....राज्य के एक चर्चित नौकरशाह ने तो इस राज्य को घोटाला प्रदेश बना डाला है आखिर राज्य के निर्माण को लेकर अपनी जान न्योछावर करने वाले शहीद भी स्वर्ग में क्या सोचते होंगे कि क्या इसी प्रदेश के लिए हमने अपने प्राण दिए थे....
  यह मामला राज्य के सबसे ज्यादा आपदा ग्रस्त उत्तरकाशी व ऋषिकेश का है जहाँ पर मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद दो ट्रामा सेंटर बनकर तैयार है लेकिन वहां पिछले छह माह से इंतजार हो रहा है सीटी स्कैन मशीनों का, स्वास्थ्य निदेशालय ने इसके लिए टेंडर भी काफी पहले कर दिए थे ताकि ट्रामा सेंटर बनते ही वहां मशीनें भी लग जाएँ और प्रदेश के जनता सहित देश के लोगों को इस सुविधा का लाभ भी मिलने लगे..लेकिन एक चर्चित अधिकारी ’’राका’’ ने यहाँ भी पेंच फंसा दिया है हालाँकि स्वास्थ्य विभाग उनके पास नहीं है लेकिन वित्त विभाग का सर्वे सर्वा होने के चलते राज्य के लगभग सभी विभागों पर उनकी पकड़ है क्योंकि हर वित्तीय स्वीकृति उन्ही के द्वारा की जाती है .दूसरी भाषा में यदि कहा जाये तो वे उत्तराखंड के कुबेर की भूमिका में हैं.
  सीटी स्कैन की मशीनों का उत्पादन भारत में नहीं होता है यदि होता भी है तो वो केवल एसम्बलिंग का काम,बहुतायत में ऐसी मशीने विदेशों से ही मंगाई जाती हैं जिनका मार्केटिंग विभाग दिल्ली से कार्य करता है और इनकी कीमत भी करोड़ों में होती है तो कमीशन भी लाखों में होता है. राज्य सरकार के स्वास्थ्य बिभाग को लगा कि उत्तरकाशी व ऋषिकेश सहित अल्मोड़ा व पिथोड़ागढ़ में इन मशीनों को लगाया जाना चाहिए. पहले गढ़वाल मंडल के उत्तरकाशी व ऋषिकेश में इन मशीनों को लगाने की योजना बनायीं गयी क्योंकि उत्तरकाशी तो वैसे भी आपदाग्रस्त एरिया में आता है जबकि ऋषिकेश गढ़वाल का बेस सेंटर पड़ता है किसी भी ट्रोमा या एक्सीडेंटल केस में सबसे पहले सिटी स्कैन ही कराया जाता है इसलिए जीवन रक्षक उपकरण होने की वजह से दोनों ही जगह इस मशीन का होना बहुत ही ज़रूरी था , इसलिए वर्ष 2013 -14 वितीय वर्ष में दो सिटी स्कैन की मशीन की खरीद के टेंडर आमंत्रित किये गये.  दो -दो बार टेंडर करने के बाद जब दो कंपनियों ( ERBIS तोशिबा जापान एवं  विप्रो GE USA ) के वितीय दरों का पत्र मार्च 2014 में खोला गया , जिसमे एर्बिस के दर  विप्रो GE  से कम आये स्वास्थ्य महानिदेशालय ने मार्च 2014 में ही निविदा की इस फाइल को स्वीकृति के लिए सचिवालय भेज दिया. चर्चा यह है कि यह फाइल चर्चित अधिकारी की जिद की वजह से वित्त विभाग में ही अटक गई और इस पर बिना सिर पैर की आपतियां लगती रही. अपने इस इंटरेस्ट की वजह से इन्होने कोई भी  ठोस कारण न होते हुए फाइल को न तो स्वीकृत किया और न ही रिजेक्ट ..जबकि इसी फाइल में  दूसरी आइटम फिजियोथेरेपी की भी है पर सिटी स्कैन मशीनों के खरीद में पेंच फंस जाने के कारण वह भी नही हो पा रही है. एक जानकारी के अनुसार इस चर्चित अधिकारी की धींगामुश्ती तो देखिये पहले उन्होंने यह जिद पकड़ी कि स्वास्थ्य महानिदेशालय में तैनात CMSD (केंद्रीय स्टोर निदेशक) निदेशक डॉ आर्य को हटाया जाय तो फिर सीटी स्कैन मशीनों की फाइल स्वीकृत करूँगा लेकिन जब स्वास्थ्य निदेशालय से बिना वजह निदेशक को हटाया गया तो उसके बाद भी यह स्वीकृति नहीं मिली और नतीजा शून्य रहा और अब यह चर्चित अधिकारी इस बात पर अड़े हुए है कि वर्ष 2007 -08  की खरीद नीति पुरानी हो गयी है और यह खरीद नीति गलत है और अब उसको परिवेर्तन करने की जिद पर अड़े है अब नयी खरीद नीति बनाये जाए. जबकि उस खरीद नीति में अब तक कोई भी कमी सामने नहीं आई है और न ही अब तक किस्सी भी विभाग ने इस पर ऐतराज़ ही किया है.
  सारा मामला यह है कि जिस सीटी स्कैन कंपनी को यह चर्चित अधिकारी खरीद का आदेश दिलवाना चाहते हैं वह राज्य सरकार की खरीद नीति के पैमाने पर फिट नहीं बैठती और वह येन-केन-प्रकारेण GE को यह आदेश दिलवाना चाहते हैं.
सबसे मजेदार और हैरान कर देने वाला यह मामला बीते दिन मुख्यमंत्री की विधानसभावार बैठक में जब गंगोत्री के विधायक विजयपाल सजवाण ने यह मामला उठाया तो प्रमुख सचिव स्वाथ्य ने भी यहाँ झूठ बोल दिया और  बताया कि यह मामला काफी पुराना हो गया है अब सिटी स्कैन का नया टेंडर करवाया जायेगा लेकिन वे यह नहीं बता पाए कि आखिर सीटी स्कैन मशीन खरीद में देरी के लिए कौन जिम्मेदार है और क्यों .लेकिन इस मामले में यह भी जानकारी सामने आई है कि राज्य के इन चर्चित अधिकारी को भनक लग गयी थी कि यह मामल उठाना वाला है लिहाज़ा उन्होंने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य व अपर सचिव स्वास्थ्य को इस मामले में कुछ भी न बोलने के निर्देश दे दिए थे. इस मामले के बाद यह बात सामने आई है कि राज्य का यह चर्चित अधिकारी अपने से नीचे वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को धमका कर और ऊपर वालों को झूठ बोल कर इस देव भूमि को अपनी मन मर्ज़ी से चला कर  तबाह कर रहा है ...   

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