मंगलवार, 4 नवंबर 2014

राज्यसभा को लेकर बहुगुणा खेमें की बढ़ी दुश्वारियां


राजेन्द्र जोशी
राज्यसभा की उम्मीदवारी का नामांकन दस नवंबर तक होना है इसलिए पार्टी जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहती वहीँ मुख्यमंत्री हरीश रावत भले ही राज्य सभा के लिए कौन उपयुक्त है पर न बोलें लेकिन कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति में दखल रखने वाले प्रदेश अद्यक्ष किशोर उपाध्याय को राज्यसभा में भेजने के पक्षधर हैं,इसके पीछे उनका तर्क भी वाजिब है कि प्रदेश अद्यक्ष किशोर को यदि राज्यसभा में भेजा जाता है तो इससे पार्टी को ही फायदा होगा क्योंकि राज्यसभा में पहुँचने पर उनको जहाँ एक तरफ सरकारी सुविधाएँ मिलेंगी जिनका प्रयोग संगठन के हित में किया जा सकता हैवहीँ उनका कहना है कि विजय बहुगुणा वैसे भी राज्य विधानमंडल के सदस्य हैं ऐसे में उनको राज्यसभा भेजने से राज्य में जहाँ सितारगंज विधानसभा की सीट रिक्त होगी वही मोदी लहर के चलते यह तय नहीं है कि उपचुनाव में यह सीट एक बार फिर कांग्रेस की ही झोली में जाये. वही ऐसे में राज्य विधानमंडल में कांग्रेस की पीडीएफ पर निर्भरता बढ़ जाएगी ऐसे में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के होते हुए पीडीएफ सरकार को जैसे चाहे ब्लैक मेल करेगी.
   वहीं बहुगुणा कैंप ने विजय बहुगुणा की उम्मीदवारी कटने पर लखनऊ कैंट से विधायक और उनकी बहन रीता बहुगुणा जोशी का नाम उछाला है यह सब हरीश रावत कैंप को राजनीतिक पटखनी देने के उद्देश्य से किया जा रहा है जबकि रीता बहुगुणा जोशी का उत्तराखंड की राजनीति में कोई महत्वपूर्ण स्थान नही हैसूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बहुगुणा कैंप यह केवल इसलिए करना चाहता है कि उनकी कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गाँधी से नजदीकियां है और यही ऐसे में उत्तराखंड से राज्यसभा के लिए यदि उनका नाम आया तो वे मना नही कर पाएंगी.लेकिन उनके नाम पर राज्यवासी सहित कांग्रेस के अधिकांश विधायक तैयार नहीं हैंकई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का खाना है जब पैराशूट प्रत्याशी ही राज्यसभा के लिए मैदान में उतरना है तो कांग्रेस के वरिष्ठ  नेताओं में गुलाम नवी आजाद अथवा अम्बिका सोनी जैसे लोगों को उतारा जा सकता है. वहीँ राज्यसभा की इस लडाई में अब एक और नाम सामने आया है वह है राहुल गाँधी के नजदीकी प्रकाश जोशी का. प्रकाश जोशी वर्तमान में  कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव हैं। ऐसे समय में प्रकाश जोशी का नाम सामने आने से बहुगुणा खेमे की पुख्ता दावेदारी को करारा झटका लगा है वहीँ राज्यसभा उम्मीदवारी को लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी पशोपेश में है।
  कांग्रेस को अपना उम्मीदवार जिताने के लिए 36 विधायकों की आवश्यकता है। कांग्रेस को सात अन्य सहयोगी विधायकों का भी समर्थन है। उस हिसाब से कांग्रेस के पास 43 विधायकों  की पर्याप्त संख्या हैलेकिन कुल तीन या चार विधायक जिनमें सुबोध उनियाल,विजय पाल सजवाणविक्रम सिंह नेगी व शेलेन्द्र मोहन सिंघल ही बहुगुणा के खासे करीब हैजबकि लगभग आठ विधायक ढुलमुल की स्थिति में हैं जो न तो हरीश रावत के साथ हैं और ना ही विजय बहुगुणा के साथ हैं जो कांग्रेस आलाकमान द्वारा प्रत्याशी घोषित होने पर संगठन के साथ मतदान करेंगे. वहीँ मंत्रियों में हरक सिंह रावतप्रीतम सिंह और यशपाल आर्य की किन्हीं कारणों से मुख्यमंत्री से नाराज बताये जा रहे हैं है। जबकि  विधायकों में राजेंद्र भंडारीअमृता रावतअनुसुइया प्रसाद मैखुरी सतपाल महाराज खेमे के होने के कारण न तक बहुगुणा खेमे के साथ ही खुलकर आ रहे हैं और न ही मुख्यमंत्री खेमे के सामने.
  वहीँ कुछ विधायकों के सामने आगामी दिनों में जहाँ स्वयं को मंत्री पद व अपने समर्थकों को सरकार में एडजस्ट करने का भी दबाव है ऐसे में वे जहाँ खुलकर मुख्यमंत्री खेमे का विरोध नहीं कर सकते वहीँ दुसरे खेमे में भी जाने की नहीं सोच सकते वे केवल दिखावे के लिए दोनों तरफ नज़र आ रहे हैं ताकि पासा पलटने पर उनकी हर खेमे में पेशबंदी रहे. वहीँ बहुगुणा की कुर्सी छिनने के गम से ग़मज़दा बहुना कैंप से जुड़े विधायक इस बात पर ज्यादा जोर दे रहे हैं कि राज्यसभा की उम्मीदवारी किसी भी कीमत पर सीएम कैंप के पास न जा पाए।
   

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