मंगलवार, 13 जनवरी 2015

चमोली जिले मे बर्फीले तूफान का कोहराम,115 घर उड़े , अलर्ट पर पर्वतीय जिले

गोपेश्वर : उत्तराखंड के चमोली जिले की सबसे दूरस्थ निजमुला घाटी के गांवों में बर्फीले तूफान ने कहर मचा दिया। यहां पाणा, ईराणी, भनाली, बौंणा और झींझी गांवों में बर्फीले तूफान से करीब 115 आवासीय भवनों की छतें उड़ गई हैं। जिससे घाटी में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सहमे ग्रामीणों ने पेड़ों और प्राकृतिक गुफाओं में शरण लेकर अपनी जान बचाई। घाटी में रात्रि बुधवार रात दो बजे से ही ग्रामीणों में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। क्षेत्र में बुधवार रात से बर्फीला तूफान शुरू हुआ जो लगातार गुरुवार को सुबह 11 बजे तक चलता रहा। प्रशासन ने ग्रामीणों की सूचना पर आपदा और तहसील प्रशासन की दो टीमें सेटेलाइट फोन के साथ प्रभावित गांवों के लिए रवाना कर दी गई हैं। अपर जिलाधिकारी एमएस बिष्ट ने बताया कि तूफान से कोई जनहानि की सूचना नहीं है। प्रशासन ने टीम के साथ बीस कंबल और बीस तिरपाल भी भेजे हैं। टीम देर रात्रि तक ही प्रभावित क्षेत्र में पहुंचेगी।
    जिले की निजमुला घाटी विषम भौगोलिक परिस्थितियों की घाटी है। घाटी के ग्रामीणों को अपने गांवों तक जाने के लिए आज भी करीब 10 किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। क्षेत्र में संचार और स्वास्थ्य सुविधा नहीं है, जिससे यहां होने वाली कोई भी घटना की तत्काल जानकारी नहीं मिल पाती है। ताजा घटनाक्रम के मुताबिक ईराणी गांव के ग्रामीण महिपाल सिंह ने तूफान के दौरान ही गांव से चार किमी दूर आकर एक पहाड़ी से डब्ल्यूएलएल फोन से सुबह साढे़ नौ बजे गोपेश्वर में अपने ही गांव के मोहन सिंह नेगी को तूफान की सूचना दी। उन्होंने तत्काल क्षेत्र के अन्य ग्रामीणों के साथ ही जिला प्रशासन व जिला आपदा प्रबंधन विभाग को इसकी सूचना दी। जिसके बाद प्रशासन ने नायब तहसीलदार सुशीला कोठियाल के साथ ही आपदा प्रबंधन के छह कर्मचारी प्रभावित गांवों के लिए रवाना हुए।

खानापूर्ति तक सिमटा रहा एनडीआरएफ का अलर्ट
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भारत सरकार ने बीती 4 व 5 जनवरी को चमोली जिले में हिमस्खलन का अलर्ट जारी किया था। जिसके बाद जिला प्रशासन ने इस अलर्ट को सिर्फ खानापूर्ति तक सीमित रखा। अलर्ट में बताया गया कि करीब 2500 मीटर की ऊंचाई तक के क्षेत्र इससे प्रभावित हो सकते हैं, जबकि जिले का पाणा और ईराणी गांव करीब 21 सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। इसके बावजूद भी ग्रामीणों को अलर्ट नहीं किया गया।
   जिला आपदा प्रबंधन विभाग  का भी कहना है कि जब हिम्माच्छादित क्षेत्रों में हिमस्खलन होता है तो हिम्माच्छादित क्षेत्र के समीप वाले हिस्से में बर्फीले तूफान का खतरा बना रहता है।निजमुला घाटी के ठीक पीछे त्रिशूल और नंदा घुंघटी की बर्फीली चोटियां मौजूद हैं। हिमालय का यह क्षेत्र वर्षभर हिमाच्छादित रहता है। शीतकाल में जब इन चोटियों पर नई बर्फ जमती है तो यहां हिमस्खलन की छोटी-छीटी घटनाएं होती रहती हैं, जिनका इन आवादी क्षेत्रों में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार यहां हिमस्खलन बडे़ पैमाने पर हुआ है। शीतकाल में बर्फबारी के बाद पाणा, ईराणी और झींझी गांव भी बर्फ से ढके रहते हैं। इन गांवों में इन दिनों एक से पांच फीट तक बर्फ जमी हुई है। स्थानीय निवासी भरत सिंह, भजन सिंह, महेंद्र सिंह, कमल सिंह और इंद्र सिंह का कहना है कि गांव के ठीक पीछे स्थित त्रिशूल पर्वत पर बीते वर्षों में छिटपुट हिमस्खलन की घटनाएं देखी गई हैं।

मौसम परिवर्तन तूफान का कारण
निजमुला घाटी में इस बार समय से पहले बर्फबारी हुई है। अमोमन यहां 15 जनवरी के बाद ही बर्फबारी होती है, लेकिन इस बार ठीक एक माह पूर्व यानि 14 दिसंबर को भारी बर्फबारी हुई। इसके बाद भी दो बार बर्फबारी हुई, जिससे घाटी के गांव अभी भी करीब दो फीट बर्फ की आगोश में हैं। इसे मौसम में हो रहे परिवर्तन का असर भी माना जा रहा है।निजमुला घाटी में बर्फीले तूफान के बाद मची अफरा-तफरी के बाद भी जिले में आपदा प्रबंधन का सेवन डेस्क सिस्टम हरकत में नहीं आया। जिससे जिले में एक बार फिर आपदा प्रबंधन की पोल खुल कर रह गई है।
बीती रात जब घाटी में बर्फीले तूफान का कहर रहा तो जिले के आला अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं थी। सुबह जब साढे़ नौ बजे एक ग्रामीण द्वारा फोन पर यह सूचना दी गई तो इसके बाद भी कोई अलर्ट जारी नहीं हुआ। जब मीडिया कर्मियों द्वारा विभागीय अधिकारियों से मामले की जानकारी मांगी गई, इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और तहसील व आपदा प्रबंधन की टीमें प्रभावित क्षेत्र के लिए रवाना की गई।

मौसम को देखते हुए जनपद में आपदा राहत एवं बचाव की टीम अलर्ट पर रहे

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जनपद चमोली, रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत व नैनीताल के जिलाधिकारियों को निर्देश दिये है कि मौसम को देखते हुए जनपद में आपदा राहत एवं बचाव की टीम अलर्ट पर रहे। जिन पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फभारी होने की संभावना है, वहां पर समय से सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली जाय। लोगो को खाद्यान्न आदि की समस्या नही होनी चाहिए। बर्फबारी के कारण यदि कही पर कोई मार्ग बंद हो जाता है, तो उसके लिए जे.सी.बी. आदि की व्यवस्था की जाय। किसी भी प्रकार की आपात स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय सहित मुख्य सचिव को तत्काल सूचित किया जाय। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जन सामान्य को किसी भी प्रकार से भयभीत होने की आवश्यकता नही है। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा भी बताया गया है कि अभी तक किसी भी प्रकार की जानमाल की क्षति नही हुई है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें