बेकाबू ब्यूरोक्रेसी और आपदा मंत्री के उठे मामले
आपदा मंत्री पर विधायकों ने लगाया उपेक्षा का आरोप
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : अभी तक प्रदेश की जनता ही मुख्यमंत्री पर यह आरोप लगाती रही है कि प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी उनकी नहीं सुन रही है, लेकिन अब कांग्रेस विधानमण्डल दल के विधायकों ने भी मुख्यमंत्री से शिकायत की है कि प्रदेश के जिले से लेकर सरकार में बैठे नौकरशाह तक उनको तवज्जो नहीं देते हैं। वहीं विधानमण्डल दल की बैठक में विधायकों के निशाने पर सबसे ज्यादा आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य ही रहे। इतना ही नहीं जब विधायकों ने उन पर शब्द बाणों से प्रहार करने शुरू किए तो वे तिलमिलाकर आपा खो बैठे। वहीं सतपाल महाराज गुट के पर्यटन मंत्री अमृता रावत, गणेश गोदियाल और राजेन्द्र भण्डारी भी सरकार के उपेक्षा पूर्ण रवैये से नाराज होकर बैठक को बीच में ही छोड़कर निकल गए। बीते दिन लगभग आठ घण्टे चली विधानमण्डल दल की सहयोगी दलों के साथ बैठक में उन विधायकों ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया, जिनके विधानसभा क्षेत्र आपदा से प्रभावित हैं।
प्रदेश विधानमण्डल दल व सहयोगी दलों के साथ मुख्यमंत्री बहुगुणा ने सरकार बनने के 17 महीने के बाद पहली बार बैठक की। यह बैठक केंद्र के दबाव में की गई, क्योंकि प्रदेश सरकार के विधायक लगातार मुख्यमंत्री सहित आलाकमान से कांग्रेस विधायकों की बैठक को लेकर दबाव बनाए हुए थे। पहली बार हुई इस बैठक में प्रदेश के अधिकांश विधायकों ने अपनी ही सरकार पर आरोप लगाया कि जिले से लेकर प्रदेश शासन में बैठे नौकरशाह उनकी बातों को नजर अंदाज करते रहे हैं, जबकि दूसरी ओर मुख्यमंत्री के मुंह लगे कुछ तथाकथित नेताओं को राज्य की नौकरशाही पूरी तरह सहयोग कर रही है। ऐसे में प्रदेश के नेताओं में अंदरखाने आपसी द्वंद बढ़ रहा है, जिसका खामियाजा प्रदेश सरकार को भुगतना पड़ रहा है। अधिकांश विधायकों का आरोप था कि प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी लोक सेवक को मिलने वाले प्रोटोकॉल को भी नजरअंदाज कर रही है। वहीं बैठक के बाद कुछ मंत्रियों का तो यहां तक कहना था कि विभागीय फाईलों के अलावा क्षेत्र की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री दरबार तक गई फाईलों के मामले में उनको पूछा तक नहीं जाता। उन्होंने कहा कि जब इस तरह की फाईलों पर निर्णय हो जाता है तब मंत्रियों को पता चलता है, जो कि एक गंभीर विषय है। वहीं एक विधायक ने तो यहां तक कहा कि विधायकों को दस बार निश्चित समय देने के बाद भी अधिकारी अपने कक्ष में नहीं मिलते हैं, जिससे विधायकों का समय तो बर्बाद हो ही रहा है, वहीं जनता के कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।
सत्तारूढ़ विधायकों और सहयोगी दलों की बैठक में आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य का रहा, आपदा प्रभावित क्षेत्र के लगभग सभी विधायकों ने एक सुर में आपदा प्रबंधन मंत्री को घेरते हुए कहा कि उनके क्षेत्रों की समस्याओं और आपदा के बाद होने वाले कार्यों के लिए क्षेत्र के विधायकों को मंत्री नजर अंदाज कर रहे हैं। वहीं उन्होंने यशपाल आर्य पर विधायकों की उपेक्षा का आरोप भी लगाया। इस पर आपदा मंत्री यशपाल आर्य कई बार तिलमिला भी उठे। इतना ही नहीं सतपाल महाराज गुट के राजेन्द्र भण्डारी, अमृता रावत और गणेश गोदियाल तो सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए बैठक को बीच में छोड़कर चल दिए। कुल मिलाकर कांग्रेस विधानमण्डल दल व सहयोगी दलों की बैठक में विधायकों और मंत्रियों ने मुख्यमंत्री और आपदा मंत्री पर ही अपनी खींझ उतारी।
आपदा मंत्री पर विधायकों ने लगाया उपेक्षा का आरोप
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : अभी तक प्रदेश की जनता ही मुख्यमंत्री पर यह आरोप लगाती रही है कि प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी उनकी नहीं सुन रही है, लेकिन अब कांग्रेस विधानमण्डल दल के विधायकों ने भी मुख्यमंत्री से शिकायत की है कि प्रदेश के जिले से लेकर सरकार में बैठे नौकरशाह तक उनको तवज्जो नहीं देते हैं। वहीं विधानमण्डल दल की बैठक में विधायकों के निशाने पर सबसे ज्यादा आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य ही रहे। इतना ही नहीं जब विधायकों ने उन पर शब्द बाणों से प्रहार करने शुरू किए तो वे तिलमिलाकर आपा खो बैठे। वहीं सतपाल महाराज गुट के पर्यटन मंत्री अमृता रावत, गणेश गोदियाल और राजेन्द्र भण्डारी भी सरकार के उपेक्षा पूर्ण रवैये से नाराज होकर बैठक को बीच में ही छोड़कर निकल गए। बीते दिन लगभग आठ घण्टे चली विधानमण्डल दल की सहयोगी दलों के साथ बैठक में उन विधायकों ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया, जिनके विधानसभा क्षेत्र आपदा से प्रभावित हैं।
प्रदेश विधानमण्डल दल व सहयोगी दलों के साथ मुख्यमंत्री बहुगुणा ने सरकार बनने के 17 महीने के बाद पहली बार बैठक की। यह बैठक केंद्र के दबाव में की गई, क्योंकि प्रदेश सरकार के विधायक लगातार मुख्यमंत्री सहित आलाकमान से कांग्रेस विधायकों की बैठक को लेकर दबाव बनाए हुए थे। पहली बार हुई इस बैठक में प्रदेश के अधिकांश विधायकों ने अपनी ही सरकार पर आरोप लगाया कि जिले से लेकर प्रदेश शासन में बैठे नौकरशाह उनकी बातों को नजर अंदाज करते रहे हैं, जबकि दूसरी ओर मुख्यमंत्री के मुंह लगे कुछ तथाकथित नेताओं को राज्य की नौकरशाही पूरी तरह सहयोग कर रही है। ऐसे में प्रदेश के नेताओं में अंदरखाने आपसी द्वंद बढ़ रहा है, जिसका खामियाजा प्रदेश सरकार को भुगतना पड़ रहा है। अधिकांश विधायकों का आरोप था कि प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी लोक सेवक को मिलने वाले प्रोटोकॉल को भी नजरअंदाज कर रही है। वहीं बैठक के बाद कुछ मंत्रियों का तो यहां तक कहना था कि विभागीय फाईलों के अलावा क्षेत्र की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री दरबार तक गई फाईलों के मामले में उनको पूछा तक नहीं जाता। उन्होंने कहा कि जब इस तरह की फाईलों पर निर्णय हो जाता है तब मंत्रियों को पता चलता है, जो कि एक गंभीर विषय है। वहीं एक विधायक ने तो यहां तक कहा कि विधायकों को दस बार निश्चित समय देने के बाद भी अधिकारी अपने कक्ष में नहीं मिलते हैं, जिससे विधायकों का समय तो बर्बाद हो ही रहा है, वहीं जनता के कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।
सत्तारूढ़ विधायकों और सहयोगी दलों की बैठक में आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य का रहा, आपदा प्रभावित क्षेत्र के लगभग सभी विधायकों ने एक सुर में आपदा प्रबंधन मंत्री को घेरते हुए कहा कि उनके क्षेत्रों की समस्याओं और आपदा के बाद होने वाले कार्यों के लिए क्षेत्र के विधायकों को मंत्री नजर अंदाज कर रहे हैं। वहीं उन्होंने यशपाल आर्य पर विधायकों की उपेक्षा का आरोप भी लगाया। इस पर आपदा मंत्री यशपाल आर्य कई बार तिलमिला भी उठे। इतना ही नहीं सतपाल महाराज गुट के राजेन्द्र भण्डारी, अमृता रावत और गणेश गोदियाल तो सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए बैठक को बीच में छोड़कर चल दिए। कुल मिलाकर कांग्रेस विधानमण्डल दल व सहयोगी दलों की बैठक में विधायकों और मंत्रियों ने मुख्यमंत्री और आपदा मंत्री पर ही अपनी खींझ उतारी।
जब नौकर शाही विधायकों और मंत्रियों की नहीं सुन रहे तो आम जनता तो कहीं गिनती में ही नहीं. जन कार्यों का तो भगवान ही मालिक .. जब अधिकारीयों के तबादले, प्रमोशन का कण्ट्रोल मुख्य मंत्री और उनके 2 -3 चहेतों के पास होगा तो जवाबदेही भी तो उनके पास ही होगी. जहाँ कलेक्शन दी जाएगी वहीँ तो सुनवाई होगी...
जवाब देंहटाएंआपदा मंत्री तो अपने बेटे को कोआपरेटिव का चुनाव जिताने में लगे थे तो आपदा राहत पर ध्यान कैसे जायेगा...
वैसे भी आपदा में मिले फण्ड को ठिकाने कैसे लगाया जाये इस पर सबका ध्यान है न की राहत और पुनर्वास कैसे किया जाये....
लोग रिलीफ फण्ड में पैसे दिए जा रहे हैं... CM साहेब फण्ड को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर लुटते जा रहे हैं.....
लानत है ऐसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर जो इस घडी में और ये पैसा ले रहे हैं....