सोमवार, 26 नवंबर 2012

पोंटी के साथ डूब गयी कई राजनेताओं और अधिकारियों की काली कमाई

पोंटी के साथ डूब गयी कई राजनेताओं और अधिकारियों की काली कमाई
छिपाना भी हुआ मुश्किल और बताना भी हुआ मुश्किल
राजेन्द्र जोशी
देहरादून, 26 नवम्बर। पोंटी चढ्ढा की मौत के साथ कई राज भी दफन हो गए। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में शराब और चीनी कारोबार सहित खनन और रियल स्टेट में दोनों राज्य के कई राजनेताओं और  ब्यूरोक्रेटस का काला धन लगा था जो पोंटी चढ्ढा के मरने के बाद डूब गया है।
पोंटी चढ्ढा की वेव कम्पनी में मात्र व्यवसायिक घरानों का ही नहीं बल्कि राजनेताओं और अधिकारियों का काला धन भी लगा था। यह बात केवल या तो पोंटी चढ्ढा ही जनता था या फिर काला धन लगाने वाले अधिकारी और राजनेताओं को ही पता था, कि उन्हांेने कितना पैसा लगाया है। हालंाकि, अब इस बात के कोई सबूत नहीं है कि पोंटी की कम्पनियांे में किसका कितना धन लगा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ पोंटी के मरने के बाद आर्थिक नुकसान उसके परिवार को भी हुआ है। एक जानकारी के अनुसार पोंटी  की काली कमाई का करोडों रूपया कई व्यवसाय में लगा हुआ था। पोंटी की हत्या के बाद यह धन भी डूब गया है जानकारों का कहना है कि काली कमाई से अर्जित किया गया धन या तो मरने वाले के साथ डूब जाता है और इस तरह के धन को लगाने वाले भी खुल कर सामने नहीं आ पाते हैं। इनका कहना है कि जिन नेताओं और अधिकारियों ने पोंटी की कम्पनी में काला धन लगाया था उन्होने अपने कार्यकाल में पोंटी से शराब और चीनी मिल की खरीद में अरबों कमाए। सूत्रों का यह तक कहना है, कि उत्तराखंड की सरकारी क्षेत्र की चार चीनी मिलों को घाटे वाली बताकर पोंटी को पीपीपी मोड़ में देने की तैयारी हो चुकी थी लेकिन मामला खुल जाने के बाद सरकार की यह योजना धरी की धरी रह गई।
  जानकारों का कहना है कि जिन नेताओं और अधिकारियों का काला धन डूबा है उनके घरों में पोंटी के मरने के बाद से मातम का माहौल है। उनकी बिडम्बना है कि वे अपना दुःख न किसी को बता सकते हैं और न यह कह सकते हैं कि पोंटी के साथ उनका पैसा भी डूब गया।


पोंटी की कार से मिला पांचवा फिंगर प्रिंट कहीं आईएएस का तो नहीं!


पोंटी की कार से मिला पांचवा फिंगर प्रिंट  कहीं आईएएस का तो नहीं!
सरकार करे आईएएस की जांच: हरीश रावत
राजेन्द्र जोशी
देहरादून, 25 नवम्बर। उत्तराखण्ड के आईएएस का पोंटी चढ्ढा हत्याकाण्ड से संबंध हो न हो, लेकिन केंद्रीय मंत्री हरीश रावत का  कहना है कि सरकार को इस मामले की जांच करनी चाहिए कि आखिर आईएएस का नाम क्यों आ रहा है, वहीं दूसरी ओर सूत्रों ने जानकारी दी है कि दिल्ली क्राईम ब्रंाच द्वारा इस बात की तस्दीक हो चुकी है कि पोंटी चढ्ढा के साथ सुखदेव सिंह नामधारी व उनका गनर और ड्राईवर साथ थे। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार क्राईम ब्रांच को पोंटी चढ्ढा की गाड़ी से चार लोगों के फिंगर प्रिंट के निशानों का मिलान तो किया जा चुका है और क्राईम ब्रांच इस खोज में लगी है कि आखिर पोंटी चढ्ढा के साथ वह पांचवा व्यक्ति कौन था, जिसकी उंगलियों के निशाने पोंटी चढ्ढा की गाड़ी से क्राईम ब्रांच को मिले हैं। इतना ही नहीं जानकारी तो यहां तक मिली है कि राज्य का चर्चित आईएएस उस दिन दिल्ली में था और दोपहर में उसके ओपन यूनिवर्सिटि के वीसी के चयन को लेकर बैठक बुलाई थी, लेकिन सभी अधिकारियों के बैठक में आने के बावजूद राज्य का यह चर्चित आईएएस उस बैठक में नहीं पहुंचा था। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि जिस समय पोंटी चढ्ढा और उसके भाई हरदीप चढ्ढा की हत्या हुई ठीक इसी समय अंतराल पर बैठक का समय निर्धारित किया गया था और चर्चित आईएएस ने बैठक में उपस्थित अधिकारियों को यह निर्देश भी दिए कि वह बैठक कर लें और बैठक के मिनट्स पर वह हस्ताक्षर कर देगा। सबसे बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हो रहा है कि चर्चित आईएएस बैठक बुलाने के बावजूद बैठक में क्यों नहीं गया और जिस समय पर अधिकारियों द्वारा बैठक की जा रही थी, उस समय वह अधिकारी कहां था। सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि उक्त घटना के समय यह चर्चित आईएएस पोंटी चढ्ढा और सुखदेव सिंह नामधारी के साथ उनकी कार में मौजूद था। इतना ही नहीं सूत्रों ने तो यहां तक जानकारी दी है कि घटना के बाद यह चर्चित आईएएस हवाई जहाज से सीधा देहरादून आ गया और देहरादून में आईएएस बनाम आईपीएस के क्रिकेट मैच में शामिल हो गया।
    वहीं इस मामले पर आज जब केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत ने यह पूछा गया कि पोंटी चढ्ढा हत्याकाण्ड में प्रदेश के एक चर्चित आईएएस का नाम सामने आ रहा है, तो उन्होंने साफ कहा कि सरकार को जांच करनी चाहिए कि उस दिन कौन आईएएस दिल्ली में था और आखिर वह कौन आईएएस के जिसकी तरफ उंगलियां उठ रही है।

मेरा नाम आया सबकी पोल खोल दूंगा: आईएएस!

मेरा नाम आया सबकी पोल खोल दूंगा: आईएएस!
पोंटी चढ्ढा मर्डर केस की अब दिल्ली क्राइम ब्रांच करेगी जांच
राजेन्द्र जोशी
देहरादून, 24 नवम्बर । दिल्ली पुलिस द्वारा उत्तराखंड के अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव सिंह नामधारी की गिरफ्तारी के बाद पोंटी चढ्ढा हत्याकांड में एक नया मोड़ आ गया है। शनिवार को इस हाईप्रोफाईल मामले की जांच दिल्ली पुलिस से हटाकर दिल्ली क्राइम ब्रांच को सौंप दी गयी है। नामधारी की गिरफ्तारी के तुंरत बाद इस मामलें की जाचं क्राइम ब्रांच को दिये जाने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार नामधारी के इस मामले में संलिप्ता को लेकर पूछताछ के दौरान पुलिस को कई अहम जानकारियां हाथ लगे है। सूत्रों ने बताया कि हरदीप चडढा के फार्महाउस में जबरन घुसकर कब्जा करने के दौरान तीन दर्जन लोगों का लीडर सुखदेव सिंह नामधारी का मामा हरदयाल सिंह बताया
जा रहा है। नामधारी की गिरफ्तारी से पहले उसकी तलाश की जा रही थी, लेकिन वह फरार हो गया। सीनियर पुलिस अफसरों ने बताया कि साउथ डिस्ट्रिक्ट पुलिस की टीम उत्तराखंड के बाजपुर से पहले वहां रामपुर में दबिश डालने पहुंची थी।
हरदयाल सिंह रामपुर में रह रहा था पार्टी लेकिन पुलिस टीम के वहां पहुंचने से पहले ही वह लापता हो गया। पुलिस अनुसार फार्महाउस में पहुंचते ही वहां मौजूद हरदीप सिंह के मैनेजर और कर्मचारियों को आतंकित करने के लिए हरदयाल ने हवाई फायरिंग की थी। उसी ने अपने साथियों को आदेश देकर इन कर्मचारियों को पिटवा कर बंधक बनवाया था। इस हंगामे के बाद वहां पहले लैंड क्रूजर कार में पोंटी और नामधारी आए और बाद में मर्सिडीज में हरदीप पहुंचा था। उस वक्त हरदयाल भी मौके पर मौजूद था। इसी दौरान फायरिंग हो गई। पुलिस ने बताया कि फार्महाउस के गेट पर पोंटी, नामधारी और हरदीप चढ्ढा की मौजूदगी के दौरान हरदयाल सिंह ने फायरिंग नहीं की थी। पुलिस की तहकीकात और चश्मदीदों के बयानों के अनुसार, गेट पर फायरिंग की शुरूआत हरदीप ने की थी। उसने अपनी पिस्टल से पोंटी को सात गोलियां मारीं और जवाब में नामधारी के पीएसओ सचिन त्यागी ने हरदीप को काबाईन से दो गोलियां मारीं। पोंटी की मौत ज्यादा खून बह जाने से और हरदीप की मौत दिल में गोली लगने की वजह से हुई थी। सचिन इस वक्त महरौली थाने में हिरासत में है। नामधारी को दिल्ली लाने के बाद दोनों के बयानों का मिलान किया जाएगा।
    पोंटी चढ्ढा हत्याकाण्ड मामले को लेकर पुलिस आयुक्त दिल्ली द्वारा जांच पुलिस ने हटाकर क्राइम ब्रांच को दिए जाने के बाद, उत्तराखण्ड के चर्चित आईएएस अधिकारी और उसके गुर्गों के हाथ-पांव फूल गए हैं। सूत्रों ने बताया है कि बीते दिन इस चर्चित आईएएस ने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को यह धमकी दी डाली थी कि इस मामले में यदि उसका नाम आया तो, वह राजनेताओं की पोल खोल देगा कि उसको पोंटी चढ्ढा किसने भेजा था। यहां यह भी जानकारी सामने आई है कि पुलिस प्रशासन और उत्तराखण्ड शासन के अधिकारी एक बड़े राजनेता के इशारे पर चर्चित आईएएस को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। इतना ही नहीं सूत्रों ने तो यहां तक जानकारी दी है कि इस चर्चित आईएएस अधिकारी ने उत्तराखण्ड में तैनाती के दौरान दिल्ली में अरबों रूपयों की संपत्ति अर्जित की है। इतना ही नहीं दिल्ली, उत्तराखण्ड और हिमाचल में इस चर्चित अधिकारी की अरबों रूपये की कई नामी और बेनामी संपत्तियां भी हैं। मामले में यह भी जानकारी मिली है कि बीते तीन दिन से यह अधिकारी देहरादून में अपने कार्यालय को छोड़कर कहीं अन्य स्थान पे इस मामले पर बारीकी से नजर रखे हुए है।

शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

चर्चित आइएएस सिडकुल-2 के लिए निवेश मांगने गया था पोंटी के पास!

चर्चित आइएएस सिडकुल-2 के लिए निवेश मांगने गया था पोंटी के पास!
नामधारी की गिरफ्तारी के बाद खुल सकता है आईएएस का चिट्ठा!

राजेन्द्र जोशी
देहरादून। पोंटी चढ्ढा हत्याकाण्ड के बाद उत्तराखण्ड सरकार में बैठे एक आईएएस का नाम आने के बाद यह आईएएस बचाव की मुद्रा में आ गया है, इतना ही नहीं सूत्रों ने तो यहां तक बताया है कि नाम आने के बाद उसने मुख्यमंत्री को धमकी भी दे डाली है कि वह इस्तीफा दे सकता है। मामले में पोंटी चढ्ढा के साथ करीबी रिश्तों की बात की तस्दीक इस बात से हो जाती है कि खबरनबीशों को मुंह न लगाने वाला यह आईएएस मीडिया मैनेजमेंट में जुट गया है।
    उल्लेखनीय है कि पोंटी चढ्ढा व उसके भाई हरदीप चढ्ढा की उनके फार्म हाउस में हुई गोलीबारी में मौत के बाद राज्य के इस वरिष्ठ नौकरशाह पर भी पोंटी चढ्ढा के करीबी होने की चर्चाएं तैरने लगी थी। चर्चाएं तो यहां तक हैं कि पोंटी चढ्ढा से नजदीकी संबंध रखने वाले इस आईएएस की दिल्ली में मौजूदगी दिल्ली पुलिस द्वारा पोंटी चढ्ढा से घटना से तीन दिन पहले हुई वार्तालाप की कॉल डिटेल से निकल चुकी है। राजधानी देहरादून में हो रही चर्चाओं के अनुसार यह आईएएस मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की महत्वकांक्षी योजना सिडकुल-2 के लिए पोंटी चढ्ढा से निवेश की बात करने गया था और इनकी मुलाकात दिल्ली के एक पंच सितारा होटल में हुई थी, चर्चा तो यहां तक है यह आईएएस राज्य में खनन व्यवसाय में पोंटी चढ्ढा को तगड़े मुनाफे का सब्जबाग भी दिखा चुका था। यही कारण है कि वर्तमान में पोंटी चढ्ढा के साथ सुखदेव सिहं नामधारी व तराई क्षेत्र के कुछ विधायक चढ्ढा के खनन कार्याें में हमराह बन गए थे। चर्चाओं के अनुसार इस पार्टी के फोटो दिल्ली पुलिस के हाथ लग चुके हैं लेकिन पांेटी के साथ जहां इस फोटो में सुखदेव सिंह नामधारी दिखायी दिया है वहीं यह चर्चित आइएएस उनसे दूरी पर खड़ा है।
    जहां तक पोंटी चढ्ढा के साथ घटना के दौरान मौजूद रहे और पोंटी चढ्ढा की ओर से दिल्ली के छतरपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने वाले सुखदेव सिंह नामधारी का सवाल है, नामधारी ने शुक्रवार को बाजपुर में एक पत्रकार वार्ता में साफ कर दिया है कि उनको राजनैतिक विद्वेश के चलते फंसाया जा रहा है और वे कहीं भागे नहीं है और न ही वे भूमिगत हुए हैं और उन्होंने साफ कहा है कि वे कहीं छिपे भी नहीं हैं, वहीं नामधारी के इस ताजे बयान के सामने आने के बाद अब यदि दिल्ली पुलिस नामधारी को पूछताछ के लिए हिरासत में लेती है तो ऐसे में नामधारी से पूछताछ के दौरान पोंटी चढ्ढा और प्रदेश के इस चर्चित आईएएस के संबंधों का खुलासा हो सकता है। जहां तक सूत्रों ने जानकारी दी है, यह चर्चित आईएएस ऊंचे पदों पर बैठे राजनेताओं के निर्देशों के पालन करने के तहत पोंटी चढ्ढा से मिलने दिल्ली गया था। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सैफ विंटर गेम्स 2010 सहित महाराणा प्राताप स्टेडियन के अंतर्गत नवनिर्मित आईस रिंग के निर्माण में घोटाले सहित कई अन्य घोटालों में चर्चित रहा यह आईएएस अब उत्तराखण्ड में मुख्य सचिव बनने की जुगत में लगा है। क्योंकि प्रमुख सचिव विनीता कुमार के बाद यह आईएएस प्रोन्नति सूची में सबसे उपर के ग्रेड पर है। इनका मुख्य सचिव बनने में विनीता कुमार ही सबसे बड़ा रोड़ा हैं और वे एक-दो महीने के भीतर सेवानिवृत्त होने वाली हैं, जहां तक मुख्य सचिव आलोक कुमार जैन की बात की जाए तो वें वर्तमान में केंद्र पर प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए आवेदन कर चुके हैं और उनका आवेदन स्वीकार भी हो चुका है, ऐसे में यह चर्चित आईएएस प्रदेश का मुख्य सचिव भी बन जाए इसमें कोई हैरत की बात नहीं। वहीं सूत्रों ने बताया है कि राजधानी में तैनाम ब्यूरोक्रट्स का एक वर्ग यह नहीं चाहता है कि भ्रष्टाचार में लिप्त रहा यह अधिकारी राज्य का मुख्य सचिव बने, लेकिन दबी जुबान से कुछ आईएएस अधिकारी यह कहने से भी नहीं चूकते हैं कि प्रदेश में सत्तारूढ़ दलों के लिए इनसे बढ़ा फण्ड मैनेजर किसी भी सरकार को नहीं मिल सकता।
    पोंटी चढ्ढा मामले में निशाने पर आने के बाद खबरनबीशों से सीधे मुंह बात न करने वाला यह आईएएस बुला-बुलाकर चाय की दावतें ही नहीं दे रहा है, बल्कि उन्हें बड़े-बड़े विज्ञापनों को देने का भी सपने दिखा रहा है, लेकिन मीडिया एक वर्ग राज्य में पनपते भ्रष्टाचार से आजिज़ है और वह यह नहीं चाहता कि किसी भी कीमत पर यह आईएएस प्रदेश का मुख्य सचिव बने।

बुधवार, 21 नवंबर 2012

पोंटी की पार्टी में कौन मौजूद था उत्तराखण्ड का आईएएस!



पोंटी की पार्टी में कौन मौजूद था उत्तराखण्ड का आईएएस!

भाजपा ने किया नामधारी का बचाव, कहा मुख्यमंत्री करें चर्चित अधिकारी को पदमुक्त
राजेन्द्र जोशी
देहरादून पोंटी चढ्ढा हत्याकाण्ड के समय मौजूद उत्तराखण्ड का कौन वरिष्ठ आईएएस उनके साथ था, यह पहेली उत्तराखण्ड के सचिवालय में बैठे आलाधिकारियों के माथे पर बल ला रही है। अधिकारियों में सुगबुगाहट है कि मुख्यमंत्री दरबार से जुडे़ दो चर्चित आईएएस अधिकारियों के अलावा और कोई नहीं हो सकता। इस पहेली को सुलझाने के लिए कई आईएएस तो आपस में सिर जोड़कर अटकलें लगाने पर जुटे पड़े हैं।
                राजनैतिक दलों और शराब माफिया पूंजीपतियों का गठजोड़ काफी पुराना रहा है, किशोर अवस्था में पहुंच चुके इस राज्य पर अब शराब माफियाओं और पूंजीपतियों के साथ गठजोड़ का आरोप भी लगना शुरू हो गया है। राजधानी देहरादून सहित हरिद्वार, काशीपुर, रूद्रपुर तथा हल्द्वानी तक में पोंटी चढ्ढा से संबंध रखने वाले लोगों की शुमारी हो रही है। सूत्रों का दावा है कि उत्तराखण्ड में पोंटी चढ्ढा उसके भाई हरदीप चढ्ढा सहित सुखदेव सिंह नामधारी के व्यवसाय में कई पूंजीपतियों सहित राजनैतिक दलों ब्यूरोक्रेट्स का पैसा लगा हुआ है। राज्य में सरकारें किसकी बनें और कौन मुख्यमंत्री बने सूत्रों का दावा है इसका निर्णय भी अब इस तरह के लोग करने लगे हैं। राज्य में शराब सिंडिकेट से मित्रता निभाने वाला राजनैतिक दल जब सत्ता में होता है, तो उनकी पौ बारह हो जाती है। वैसे यह बात भी यहां दीगर है कि इनके लिए किसी भी दल की सरकार हो वह कोई मायने नहीं रखती, ये किसी भी दल में अपनी पैठ बनाकर उस दल को अपनी उंगलियों पर नचाने का माद्दा रखते हैं। इसका उदाहरण सुखदेव सिंह नामधारी की अल्पसंख्यक आयोग में ताजपोशी का होना है। इतना ही नहीं राज्य सरकार में औद्योगिक विभाग, आबकारी विभाग में कौन अधिकारी तैनात हो, इसका खाका भी ये लोग ही तय करते हैं। सूत्रों का दावा है कि राजनेता-माफिया का यह गठजोड़ मलाईदार विभागों में अपने अधिकारी गुर्गों को फिट करता रहा है। राज्य में चाहे किसी की भी सरकार है, इससे इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। सूत्रों का कहना है कि राज्य में खनन नीति, आबकारी नीति और भूमि कानून तक अब इनके इशारों पर बनाए गए हैं ताकि इस गठजोड़ को इसका पूरा-पूरा लाभ मिल सके।
                पोंटी चढ्ढा उसके भाई हरदीप चढ्ढा के साथ नामधारी प्रदेश के आईएएस का गठजोड़ कोई नया नहीं है, राज्य में अधिकतम शराब की दुकानें और खनन का कार्य इन्हीं के गिरोह के हाथों चलाया जा रहा है। ऐसे में एक आईएएस का वहां होना कोई हैरानी की बात नहीं है। सूत्रों का दावा है प्रदेश के कई आलाधिकारियों के संपर्क इस माफिया गुट से रहे हैं, जिससे इन्होंने काफी माल भी कमाया है। जहां तक पोंटी चढ्ढा की पार्टी में उत्तराखण्ड के आईएएस की मौजूदगी की बात उठ रही है, इसको मामले पर प्रदेश के ब्यूरोक्रेट्स को यह सब पता है कि उस दिन दिल्ली के पंच सितारा होटल में आयोजित पार्टी में राज्य का कौन आईएएस था, लेकिन पता होने के बावजूद भी सरकार जहां इस मामले में चुप्पी साधे हुए है, वहीं आईएएस लॉबी इस मामले को दबाने के प्रयास में है। सूत्रों का यह भी दावा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात दो चर्चित आईएएस अधिकारियों में से एक अधिकारी की वहां मौजूदगी रही है।
                वहीं इस पूरे मामले पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र ने आज यहां पत्रकार वार्ता में कहा कि मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को उस आईएएस अधिकारी को तुरंत हटा देना चाहिए, उन्होंने साथ ही सुखदेव सिंह नामधारी का बचाव करते हुए कहा कि उसके खिलाफ जब कोई मामला नहीं है, तो कांग्रेस ने नामधारी को कैसे पदमुक्त कर दिया। उन्होंने कहा केवल नाम आने से जब सुखदेव सिंह नामधारी को हटाया जा सकता है, तो चर्चित आईएएस अधिकारी पर क्यों नहीं कार्यवाही की गई।