शनिवार, 11 अक्तूबर 2014

पलायन रोकने में कारगर साबित होगी झील : हरीश रावत

टिहरी झील से होंगे पेरिस,पोखरा गोवा और डल झील के दर्शन

राजेन्द्र जोशी

टिहरी बाँध ने जिस तरह से गंगा का पानी रोक दिया है ठीक वैसे ही प्रदेश सरकार इस बाँध के अथाह जल को रोज़गार से जोड़कर पलायन को भी रोकना चाहती है, यदि सरकार की योजना परवान चढ़ी तो वह दिन दूर नहीं जब टिहरी बाँध जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने श्रीदेव सुमन सागर का नाम दिया है, उसमें पेरिस ही नहीं बल्कि गोवा व कश्मीर की डल झील में चलते हुए शिकारे व हाउस बोट के दीदार होंगे जिसमे सैर करने को दुनिया तरसती है. पेरिस  की तर्ज पर यहाँ सैलानियों को जलक्रीडा के लिए वाटर स्कूटर तो चलेंगे ही साथ ही पॉवर बोट के पीछे रस्सी के सहारे वाटर सर्फिंग के नज़ारे भी देखने को मिलेंगे, गोवा व समुद्र के किनारे स्थित उत्तरपूर्वी देशों की तर्ज पर बड़े-बड़े तैरते रेस्टोरेंट व मरीना तो इस सरोवर में दिखाई ही देंगे साथ ही लॉस वेगास की तर्ज पर कैसिनो को खोलने की भी सरकार की योजना है. नेपाल के पोखरा की तर्ज पर सैलानियों को हिमालय दर्शन जहाँ हवाई जहाज व हेलीकाप्टर से कराने की सरकार की योंजना है तो इस सरोवर से सी प्लेन उड़ाने के सपने भी सरकार देख रही है, इतना ही नही इस सरोवर में क्रूज चलाकर सैकड़ों बेरोजगारों को स्वरोजगार से भी जोड़ने की सरकार की योजना है.
  प्रदेश सरकार इस श्री देव सुमन सरोवर के चारों तरफ की 45 हज़ार हेक्टेयर भूमि को विश्व स्तरीय पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करना चाहती है इसके लिए सरकार ने डीपीआर तैयार कर दी है, इस योजना के तहत झील के चरों तरफ एक रिंग रोड का निर्माण किया जायेगा जिस पर कई इस तरह के स्थान चिन्हित होंगे जहाँ विभिन्न तरह की पर्यटन गतिविधियाँ की जाएँगी, पर्यटन सचिव उमाकांत पंवार के अनुसार राज्य सरकार ने इसके विकास के लिए एक महायोजना तैयार कर ली है, क्योंकि अभी शुरुआती दौर में ही इसकी योजना ठोस होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस इलाके अनियंत्रित निर्माण न हो जिनकी वजह से इसकी ख़ूबसूरती पर कोई प्रभाव न पड़े. उन्होंने बताया कि पर्यटन विभाग इन सभी योजनाओं के लिए सिंगल विंडो योजना शुरू करेगा ताकि यहाँ निवेश करने वालों को कोई परेशानी न हो,
 पर्यटन सचिव उमाकांत पंवार ने बताया कि उनका उद्देश्य यहाँ की संस्कृति को संजोकर रख पर्यटन विकास की है ताकि देश विदेश से आने वाले पर्यटक यहाँ की संस्कृति से रूबरू भी हो सकें, उनका कहना है कि टिहरी एक ऐतिहासिक शहर था लिहाज़ा पर्यटकों  को यहाँ के इतिहास की जानकारी होनी जरुरी है, उन्होंने बताया यहाँ ग्रामीण पर्यटन को विकसित करके स्थानीय ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ने की भी सरकार की योजना है, इतना ही नहीं सरकार चाइना व ऋषिकेश की तर्ज पर यहाँ स्वास्थ्य पर्यटन को भी बढ़ाना चाहती है, सरकार की योजना है कि सरोवर इलाके के ऊँचाई वाले स्थानों को केबल कार व रोपवे से जोड़ा जाये ताकि पर्यटन से और भी रोज़गार प्राप्त हो सके.  वहीँ 44 वर्ग किलोमीटर की इस झील में जितने भी साहसिक खेल होते हैं प्रदेश सरकार उनको भी यहाँ करने की योजना बना रही है. इसके लिए देश विदेश के पर्यटन उद्योग में काम करने वाले लोगों व कंपनियों से सरकार बात कर रही है. इतना ही नहीं इस इलाके को हवाई सेवा से जोड़ने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे को विकसित करने जा रही है जो अगले अक्टूबर तक तैयार हो जायेगा. इससे अस्तित्व में आने के बाद देश व विदेश से हवाई सेवा होने से समय की बचत भी हो सकेगी जिसका सीधा लाभ पर्यटकों को मिलेगा. टिहरी सरोवर में आयोजित हुए दो दिवसीय साहसिक खेलों के आयोजन से सरकार सहित स्थानीय युवाओं में उम्मीदें जगी हैं जिसका लाभ बेरोजगारों के साथ ही यहाँ के पर्यटन को भी मिलेगा ऐसी उम्मीद की जा सकती है.