गुरुवार, 3 जनवरी 2013

राजधानी मसला कितनी हकीकत कितना छलावा

राजधानी मसला कितनी हकीकत कितना छलावा
राजेन्द्र जोशी

 राजधानी को लेकर सरकार कितनी संजींदा है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि राज्य के हुक्मरानों की नीति और नीयति कितनी साफ है। राज्य सरकार जहां एक ओर गैरसैंण से लगे भराड़ीसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की बात कर रही है तो वहीं देहरादून के पास रायपुर क्षेत्र में विधान भवन के लिए भूमि की तलाश शुरू कर दी गई है। राजधानी को लेकर राज्यवासियों से कहीं सरकार छलावा तो नहीं कर रही है राज्यवासियों को अब भी सरकार के नीयत पर संदेह है कि इस छोटे से प्रदेश में दो- दो राजधानियां आखिर क्यों और किसके लिए?
उत्तराखंड राज्य की लडाई में गैरसैंण को प्रतीक मानते हुए आंदोलन चलाया गया था। राज्य आंदोलनकारियों का सपना था कि राज्य बनने के बाद इस पर्वतीय प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनेगी लेकिन राज्य बनने के बाद राजनीतिक दलों ने अपने सहूलियतों को देखते हुए और जनभावनों को दरकिनार करते हुए देहरादून को अस्थाई राजधानी के लिए चुना। 12 साल में राज्य में काबिज भाजपा और कांग्रेस की सरकार  ने जनभावनाओं को  दरकिनार करते हुए देहरादून से ही राज्य का काम काज चलाया।
 राज्य में तीसरी बार हुए विधानसभा चुनाव के बाद व कांग्रेस की सरकार आने के बाद बहुगुणा सरकार ने राजधानी के इस संवेदनशील मामले को छुआ। इसे बहुगुणा सरकार की राजनीतिक दूरदर्शिता कहा जाय या राजनैतिक महत्वाकांक्षा, मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के छह महीने बाद उन्हें गैरसैंण की याद आई और उन्होंने गैरसैंण में राज्य के इतिहास में पहली बार कैबिनेट बैठक बुलाकर राज्यवासियों सहित तमाम राजनैतिक दलों का ध्यान गैरसैंण की ओर आकर्षित भी  किया। वहीं उन्होंने उसी दिन गैरसैंण में राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा करते हुए आगामी 14 जनवरी मकर सक्रान्ति के पर्व पर  शिलान्यास की घोषणा तक भी कर डाली। इतना ही नहीं बहुगुणा सरकार ने जहां गैरसैंण मंे राजधानी के लिए उपयुक्त स्थान की खोज के लिए विधान सभा उपाध्यक्ष अनुसुया प्रसाद मैखुरी के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया जिसने  गैरसैंण के निकट स्थित सात स्थानों में से भराड़ीसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी के लिए उपयुक्त पाया वहीं अब मकर सक्रान्ति को इस स्थान पर ग्रीष्मकालीन राजधानी का शिलान्यास कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी करने वालीह है। जबकि वहीं गुरूवार (आज) को मुख्यमंत्री बहुगुणा सहित विधान सभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल की टीम ने रायपुर क्षेत्र में विधान भवन के लिए उपयुक्त स्थान की तलाश की।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य आंदोलनकारी शहीदों की अंतिम इच्छा गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजधानी के रूप में देखना रहा है। इनका कहना है कि अस्थाई राजधानी से पर्वतीय क्षेत्र को क्या मिलेगा यदि स्थाई राजधानी बनती तो पर्वतीय क्षेत्र का और अधिक विकास होता इनका मानना है कि यदि सरकार की नीति और नीयति साफ है तो देहरादून में विधानभवन के लिए भूमि की तलाश क्यों ? क्यों नहीं गैरसैंण को ही स्थाई राजधानी के रूप में विकसित किया जाता। इनका मानना है गैरसैंण में राजधानी बनने के बाद जहां विकास की बाट जोह रहे इस पर्वतीय क्षेत्र में विकास की किरण पहुंचेगी जो इन बारह सालों में नहीं पहुंच पायी और इससे पलायन रोकने में भी मदद मिलेगी।

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