शुक्रवार, 29 मार्च 2013

उत्तराखंड में अफसरशाही सरकारों पर भारी!

अफसरशाही सरकारों पर भारी!
राजेन्द्र जोशी
देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य गठन से लोगों को उम्मीद थी कि उनके अपने पहाड़ी राज्य में भ्रष्टाचार जैसी बीमारी नहीं फैलेगी और प्रदेश के अफसर भी अपने काम में ईमानदारी के साथ प्रदेश की जनता की परेशानियों का निस्तारण करेंगे, लेकिन प्रदेश के प्रदेश की जनता की सोच गलत साबि हुई। उत्तराखण्ड राज्य के 12 साल के इतिहास में अफसरशाही हमेशा से ही यहां की सरकारों पर हावी रही और राज्य में आज भी कई अफसर अपनी मनमानी करते हैं और मंत्रियों व विधायकों के आदेशों को ठंेगा दिखा रहे हैं, इतना ही प्रदेश के मुखिया के सामने कई बार यह मामला उठाया जा चुका है, लेकिन फिर भी अफसरशाही पर सरकार लगाम लगाने में नाकामयाब साबित हो रही है। इतना ही नहीं स्टर्डिया मामले में अधिकारियांे ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को गुमराह किया यह तक न्यायालय तक टिप्पणी कर चुका है, लेकिन यह राज्य का दुर्भाग्य ही होना कि जिनके दामन में दाग हैं ऐसे दागदार एक भी अधिकारी के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है।
राज्य के 12 साल के इस सफर में अधिकांश सरकारी महकमों के बड़े अधिकारियों की सोच व आचरण में कोई बदलाव नहीं आया। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले पहाड़ी राज्य की जरूरतों को समझते हुए मजबूत इच्छाशक्ति के साथ ही विकास करने की बात हो या सर्विस मैनुअल्स के मुताबिक
अपने आचरण में सुधार की बात, आमजनता का काम न करने के लिए अफसरों ने हर मामलों में अपनी टांग उपर रखी है।
यह अपने आप में एक बड़ा दुर्भाग्य है कि स्वयं पार्क अधिकारियों द्वारा राजाजी नेशनल पार्क के कोर जोन कासरो में परिवार समेत होली मिलन समारोह मनाने के सनसनीखेज खुलासे ने अधिकारियों की हिटलरशाही की पद्रेश की जनता के सामने पोल खोल दी है, जबकि इस जोन में वन एवं वन्यजीवों को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने नियम कानून बना रखे हैं। प्रदेश के इतिहास में कई मंत्री और विधायक ने अपनी ही सरकार में बेलगाम होती अफसरशाही से खासे नाराज पाए गए और उन्होंने अपने दुख को लगातार प्रदेश के मुख्यमंत्री के सामने रखा। कांग्रेस व भाजपा सरकारों के शासनकाल में कई बड़े ऐसे अधिकारियों पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगते आए हैं, लेकिन किसी भी सरकार के मुखिया ने इन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने का दम नहीं दिखाया और नही वह इन भ्रष्ट अधिकारी को जेल की सलाखों के पीछे डाल सके। मौजूदा समय में भाटी आयोग की जांच में टीडीसी में तैनात रहे दो बड़े अधिकारियों को दोषी ठहराया गया। लेकिन सरकार ने इन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर करने तक का दम नहीं दिखाया और केवल नाटक कर अधिकारियों पर लगे आरोपों की जांच मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव करेंगे।

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