मुफ्त सेवा के लिए नागरिक उड्डयन विभाग करेगा 168 करोड़ का भुगतान!
पहले की थी मुफ्त सेवा की घोषणा अब दे रहे हैं करोड़ों में पैसा
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : उत्तराखण्ड में आए महाप्रलय के बाद आपदा राहत कार्यों में लगे निजि कंपनियों के हैलीकाप्टर, जिन्हें सरकार द्वारा त्रासदीकाल में यह कह कर अधिग्रहित किया गया था कि ये आपदा राहत कार्यों में मुफ्त में काम करेंगे, सरकार को केवल इनके ईंधन की व्यवस्था करनी है को प्रदेश सरकार 168 करोड़ रूपये भुगतान करने जा रही है, जिसके दस्तावेज लगभग बनकर प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग में तैयार हो चुके हैं।
गौरतलब हो कि यात्रा काल के दौरान प्रदेश सरकार द्वारा अगस्तमुनी से केदारनाथ, फाटा से केदारनाथ और गौचर से बद्रीनाथ-केदारनाथ सहित राजधानी देहरादून के सहस्त्रधारा हैलीपैड़ से चार धामों की यात्रा के लिए निजि कंपनियों के हैलीकाप्टरों को चलाने की दी जाती रही है। इन हैलीकाप्टरों के परिचालन के लिए प्रदेश सरकार डीजीसीए से अनुमति लेती है। 16-17 जून को आए महाप्रलय के बाद प्रदेश सरकार ने राज्य में हैलीकाप्टर सेवा दे रही इन कंपनियों के हैलीकाप्टरों को अधिग्रहित कर आपदा राहत कार्यों में लगाया था। इस दौरान प्रदेश सरकार द्वारा यह बयान भी दिया गया था कि इन हैलीकाप्टरों के ईंधन की व्यवस्था प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही है, ताकि आपदा के बाद बचे यात्रियों को सुरिक्षत स्थानों तक पहुंचाया जा सके, वहीं सरकार द्वारा यह भी घोषणा की गई थी कि सरकार इन्हें कोई भुगतान नहीं करेगी साथ ही यह हैलीकाप्टर सेवा देने वाली कंपनियों आपदा प्रभावितों से भी कोई पैसा नहीं लेगी, लेकिन आपदाकाल में कई यात्रियों द्वारा हैलीकाप्टर संचालन कर रही इन कंपनियों पर यह आरोप भी लगाया गया कि उनके द्वारा उनसे दो लाख से लेकर 20 लाख रूपये तक वसूले गए हैं। जिसकी पुष्टि कई यात्रियों ने भी की थी। वहीं पुष्ट सूत्रों का कहना है कि प्रदेश का नागरिक उड्डयन विभाग अब इन हैलीकाप्टरों के एवज में 168 करोड़ रूपये का भुगतान करने जा रहा है। जिसकी फाईल प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग में बनकर तैयार हो चुकी है। अब सबसे अहम सवाल यह है कि प्रदेश सरकार द्वारा आपदा के समय में इस तरह की घोषणा क्यों की गई और अब नागरिक उड्डयन विभाग इन हैलीकाप्टरों की सेवा के एवज में 168 करोड़ रूपया क्यों भुगतान करने जा रहा है। वहीं एक जानकारी के अनुसार प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग ने आपदा राहत कार्य के 20 दिनों में 24 निजी कंपनी के हैलीकाप्टर राहत कार्यों में लगाए थ। पुष्ट जानकारी के अनुसार इन हैलीकाप्टरों ने प्रतिदिन चार से पांच चक्कर केदारनाथ, हर्षिल व गंगोत्री सहित गौचर व जोशीमठ के लगाए थे, लेकिन प्रदेश के उड््रडयन विभाग ने हैलीकाप्टर के चक्कर की इस संख्या को बढ़ाकर 17 से 19 भी प्रति हैलीकाप्टर प्रतिदिन कर दिया था, जिस पर महानिदेशक डीजीसीए ने आपत्ति भी दर्ज की थी। डीजीसीए का इस पर स्पष्ट मत था कि केदारघाटी में किसी भी तरह से तीन हैलीकाप्टर से ज्यादा एक समय में नहीं उड़ सकते। इस पर डीजीसीए ने दलील दी थी कि मंदाकिनी घाटी इतनी संकरी है कि वहां इतने अधिक हैलीकाप्टरों का एक साथ उड़ना नामुमकिन है। डीजीसीए के इस पत्र के बाद प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग के हाथ-पांव फूल गए थे, लेकिन अब मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार इन हैलीकाप्टरों के ऐवज में 168 करोड़ रूपये के भुगतान की फाईल चला रहा है, जबकि विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि किसी भी भुगतान के लिए प्रदेश नागरिक उड्डयन विभाग के साथ निजी हैलीकाप्टर कंपनी का समझौता पत्र होना जरूरी है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि आपदाकाल के दौरान इन हैलीकाप्टर कंपनियों को भुगतान के लिए दो करोड़ रूपये की अग्रिम धनराशी की मांग की गई थी, लेकिन नागरिक उड्डयन विभाग के लिपिक द्वारा लिखित में किसी भी तरह का आदेश अथवा समझौता पत्र न होने की दशा में सरकार द्वारा चलाई गई उक्त फाईल को दो करोड़ रूपये भुगतान करने से स्पष्ट मना कर दिया, यहां पुष्ट सूत्रों का यह भी कहना है कि उड्डयन विभाग के बाबू द्वारा प्रतिकूल टिप्पणी के बाद भी मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा दो करोड़ रूपये भुगतान कर दिए गए। ऐसे में अब यह सवाल उठ रहा है कि आपदा की मार झेल रहे उत्तराखण्ड राज्य को देश भर से मिल रहे अपार समर्थन और पैसे के बाद क्या प्रदेश सरकार के मातहत अधिकारी इस तरह 168 करोड़ रूपये का चूना प्रदेश को लगाएंगे। वहीं इस संबंध में प्रदेश के अपर प्रमुख सचिव व नागरिक उड्डयन विभाग के प्रमुख सचिव राकेश शर्मा से बात करनी चाही तो उनका फोन बंद मिला।
पहले की थी मुफ्त सेवा की घोषणा अब दे रहे हैं करोड़ों में पैसा
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : उत्तराखण्ड में आए महाप्रलय के बाद आपदा राहत कार्यों में लगे निजि कंपनियों के हैलीकाप्टर, जिन्हें सरकार द्वारा त्रासदीकाल में यह कह कर अधिग्रहित किया गया था कि ये आपदा राहत कार्यों में मुफ्त में काम करेंगे, सरकार को केवल इनके ईंधन की व्यवस्था करनी है को प्रदेश सरकार 168 करोड़ रूपये भुगतान करने जा रही है, जिसके दस्तावेज लगभग बनकर प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग में तैयार हो चुके हैं।
गौरतलब हो कि यात्रा काल के दौरान प्रदेश सरकार द्वारा अगस्तमुनी से केदारनाथ, फाटा से केदारनाथ और गौचर से बद्रीनाथ-केदारनाथ सहित राजधानी देहरादून के सहस्त्रधारा हैलीपैड़ से चार धामों की यात्रा के लिए निजि कंपनियों के हैलीकाप्टरों को चलाने की दी जाती रही है। इन हैलीकाप्टरों के परिचालन के लिए प्रदेश सरकार डीजीसीए से अनुमति लेती है। 16-17 जून को आए महाप्रलय के बाद प्रदेश सरकार ने राज्य में हैलीकाप्टर सेवा दे रही इन कंपनियों के हैलीकाप्टरों को अधिग्रहित कर आपदा राहत कार्यों में लगाया था। इस दौरान प्रदेश सरकार द्वारा यह बयान भी दिया गया था कि इन हैलीकाप्टरों के ईंधन की व्यवस्था प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही है, ताकि आपदा के बाद बचे यात्रियों को सुरिक्षत स्थानों तक पहुंचाया जा सके, वहीं सरकार द्वारा यह भी घोषणा की गई थी कि सरकार इन्हें कोई भुगतान नहीं करेगी साथ ही यह हैलीकाप्टर सेवा देने वाली कंपनियों आपदा प्रभावितों से भी कोई पैसा नहीं लेगी, लेकिन आपदाकाल में कई यात्रियों द्वारा हैलीकाप्टर संचालन कर रही इन कंपनियों पर यह आरोप भी लगाया गया कि उनके द्वारा उनसे दो लाख से लेकर 20 लाख रूपये तक वसूले गए हैं। जिसकी पुष्टि कई यात्रियों ने भी की थी। वहीं पुष्ट सूत्रों का कहना है कि प्रदेश का नागरिक उड्डयन विभाग अब इन हैलीकाप्टरों के एवज में 168 करोड़ रूपये का भुगतान करने जा रहा है। जिसकी फाईल प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग में बनकर तैयार हो चुकी है। अब सबसे अहम सवाल यह है कि प्रदेश सरकार द्वारा आपदा के समय में इस तरह की घोषणा क्यों की गई और अब नागरिक उड्डयन विभाग इन हैलीकाप्टरों की सेवा के एवज में 168 करोड़ रूपया क्यों भुगतान करने जा रहा है। वहीं एक जानकारी के अनुसार प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग ने आपदा राहत कार्य के 20 दिनों में 24 निजी कंपनी के हैलीकाप्टर राहत कार्यों में लगाए थ। पुष्ट जानकारी के अनुसार इन हैलीकाप्टरों ने प्रतिदिन चार से पांच चक्कर केदारनाथ, हर्षिल व गंगोत्री सहित गौचर व जोशीमठ के लगाए थे, लेकिन प्रदेश के उड््रडयन विभाग ने हैलीकाप्टर के चक्कर की इस संख्या को बढ़ाकर 17 से 19 भी प्रति हैलीकाप्टर प्रतिदिन कर दिया था, जिस पर महानिदेशक डीजीसीए ने आपत्ति भी दर्ज की थी। डीजीसीए का इस पर स्पष्ट मत था कि केदारघाटी में किसी भी तरह से तीन हैलीकाप्टर से ज्यादा एक समय में नहीं उड़ सकते। इस पर डीजीसीए ने दलील दी थी कि मंदाकिनी घाटी इतनी संकरी है कि वहां इतने अधिक हैलीकाप्टरों का एक साथ उड़ना नामुमकिन है। डीजीसीए के इस पत्र के बाद प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग के हाथ-पांव फूल गए थे, लेकिन अब मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार इन हैलीकाप्टरों के ऐवज में 168 करोड़ रूपये के भुगतान की फाईल चला रहा है, जबकि विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि किसी भी भुगतान के लिए प्रदेश नागरिक उड्डयन विभाग के साथ निजी हैलीकाप्टर कंपनी का समझौता पत्र होना जरूरी है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि आपदाकाल के दौरान इन हैलीकाप्टर कंपनियों को भुगतान के लिए दो करोड़ रूपये की अग्रिम धनराशी की मांग की गई थी, लेकिन नागरिक उड्डयन विभाग के लिपिक द्वारा लिखित में किसी भी तरह का आदेश अथवा समझौता पत्र न होने की दशा में सरकार द्वारा चलाई गई उक्त फाईल को दो करोड़ रूपये भुगतान करने से स्पष्ट मना कर दिया, यहां पुष्ट सूत्रों का यह भी कहना है कि उड्डयन विभाग के बाबू द्वारा प्रतिकूल टिप्पणी के बाद भी मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा दो करोड़ रूपये भुगतान कर दिए गए। ऐसे में अब यह सवाल उठ रहा है कि आपदा की मार झेल रहे उत्तराखण्ड राज्य को देश भर से मिल रहे अपार समर्थन और पैसे के बाद क्या प्रदेश सरकार के मातहत अधिकारी इस तरह 168 करोड़ रूपये का चूना प्रदेश को लगाएंगे। वहीं इस संबंध में प्रदेश के अपर प्रमुख सचिव व नागरिक उड्डयन विभाग के प्रमुख सचिव राकेश शर्मा से बात करनी चाही तो उनका फोन बंद मिला।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें