रविवार, 18 अगस्त 2013

कैकेयी बनते यशपाल !







कैकेयी बनते  यशपाल !



राजेन्द्र जोशी
देहरादून : सतयुग के राजा दशरथ की तीन रानियों में से कैकेयी का प्रसंग राम को वनवास और भरत को राजगद्दी सभी को याद है। कैकेयी के राजा को मनाने की तर्ज पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और बहुगुणा कैबिनेट में सिंचाई एवं आपदा मंत्री यशपाल आर्य भी लगभग वैसा ही व्यवहार कर रहे हैं, जैसा कैकेयी ने किया था। प्रदेशवासी उनके कोप भवन में जाने का राज ढूंढने पर लगे हैं कि आखिर वे क्या कारण थे, जिनकी वजह से यशपाल आर्य को बीते सप्ताह चार दिन तक कोप भवन में जाना पड़ा। 
    यशपाल आर्य और कोप भवन का करीबी रिश्ता है, इससे पहले भी वे कई बार कोप भवन में जा चुके हैं और कोप भवन से बाहर तब ही निकले हैं, जब उनकी मन की मुराद मुख्यमंत्री द्वारा पूरी की गई। सबसे पहले वे बहुगुणा मंत्रिमण्डल में विभागों के बटवारे को लेकर कोपभवन में गए थे, वहीं दूसरी बार वे नैनीताल के डीआईजी संजय गुंज्याल को हटाने को लेकर कोप भवन में गए। वर्तमान में वे आपदा राहत कार्यों से जुड़े पुर्नवास और पुर्नगठन प्राधिकरण आपदा प्रबंधन विभाग से इत्तर किए जाने के विरोध में कोप भवन में जा बैठे थे। कोप भवन में जाने का सिलसिला यूं ही बरकरार नहीं रहा। राजनैतिक विश्लेषक बताते हैं कि कोप भवन में जाने के बाद उन्हें बहुत कुछ मिला है। मसलन अपने मन मुताबिक विभाग, डीआईजी संजय गुंज्याल को हटाने के लिए दो पुलिस महानिरीक्षक रेंज को ही बहुगुणा सरकार को समाप्त करना पड़ा, वहीं अब बीते सप्ताह चार दिन कोप भवन में रहने के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री को पुर्नगठन एवं पुर्नविकास प्राधिकरण से रोल बैक करना पड़ा और आपदा का समूचा कार्य राज्य आपदा प्राधिकरण (एसडीएमए) को दिए जाने के बाद ही वे कोप भवन से उठे। 
    बार-बार कोप भवन में जाना और मांगे मनवाने के बाद वापस लौट आना कितना राज्य हित में रहा है, इस पर राजनैतिक विश्लेषकों की अपनी-अपनी राय है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि उधमसिंह नगर और नैनीताल जनपदों में खनिज कार्यों में व्यवधान के चलते डीआईजी संजय गुंज्याल को मंत्री के दबाव के बाद हटाना पड़ा था। वहीं अब आपदा कार्यों में केंद्र सरकार की झोली से बरस रही धन की बरसात को देखते हुए आपदा कार्यों को किसी अन्य प्राधिकरण के हवाले न करने की मांग उठाई गई है ऐसा चर्चा में है। चर्चाओं में तो यहां तक है कि हरिद्वार, उधमसिंह नगर और नैनीताल जनपद के खनन माफियाओं से नजदीकी रिश्तों के चलते और खनन कार्य में अधिकारियों द्वारा टांग अड़ाए जाने के चलते इस तरह के निर्णय उन्हें करने पड़े।

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