शनिवार, 18 मई 2019

श्री बदरीनाथ धाम की आरती को लेकर जानिए क्या हुआ नया खुलासा…..

श्री बदरीनाथ धाम की आरती को लेकर जानिए क्या हुआ नया खुलासा…..
  • बदरीनाथ धाम की आरती को लेकर जानिए क्या हुआ नया खुलासा.....
  • कार्बन डेटिंग से स्पष्ट हुआ श्री बद्रीनाथ जी की आरती कब लिखी गयी 
  • स्व. धन सिंह बर्तवाल ने संवत 1938 (सन 1881) में लिखी यह आरती 
  • नंदप्रयाग के बदरुद्दीन के परिजन नहीं दे पाए पाण्डुलिपि का कोई प्रमाण
  • सीएम को भेंट की बर्तवाल के परिजनों ने आरती की पांडुलिपि

राजेन्द्र जोशी 
देहरादून : करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक बदरीनाथ धाम की आरती को लेकर नया खुलासा हुआ है। कार्बन डेटिंग से स्पष्ट हो गया है कि श्री बद्रीनाथ जी की आरती स्व. धन सिंह बर्तवाल द्वारा संवत 1938 (सन 1881) में लिखित है। बर्तवाल जी के परिजनों ने बद्रीनाथ जी की आरती की उस पांडुलिपि को शुक्रवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को भेंट की जिसकी कार्बन डेटिंग हुई है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि धन सिंह जी के परिवार ने हमारी प्राचीन सभ्यता को संजोकर रखने का सराहनीय प्रयास किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पांडुलिपि की कार्बन डेटिंग होने से यह स्पष्ट हो गया है कि श्री बदरीनाथ जी की आरती स्व. धन सिंह बर्तवाल ने लिखी है। इस पांडुलिपि को संजोकर रखा जाएगा।
गौरलतब हो कि करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक बदरीनाथ धाम की आरती के रचियता के लेकर कोई स्पष्ठ प्रमाण किसी के पास नहीं था कोई इसे नंदप्रयाग के बदरुद्दीन को इसका रचियता बताता था लेकिन कोई इसका स्पष्ठ प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाया था। वहीं इसी बीच पिछले साल रुद्रप्रयाग जिले के पोखरी मार्ग पर स्थित संतेरा स्यूपुरी पट्टी के विजराणा निवासी महेंद्र बर्तवाल ने अपने परदादा स्व. धन सिंह बर्तवाल का दावा पेश करते हुए कहा था कि श्री बदरीनाथ में प्रातः और सायंकालीन आरती के दौरान जिस आरती का गायन किया जाता है वह उनके पर दादा स्व.महेंद्र बर्तवाल की रचना है।  धन सिंह बर्तवाल के परपोते महेंद्र बर्तवाल ने बताया कि उनके गांव स्युपुरी सतेरा में उनके घर में पांडुलिपि एक रिंगाल की कंडी में मिली थी । उन्होंने इसकी पांडुलिपि की प्रति भी पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर को भेजी थी।
इसी दौरान इस रचना की पांडुलिपि की प्रतिलिपि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट को भी दी गयी थी। यूसैक के निदेशक एमपीएस बिष्ट ने कहा कि पांडुलिपि की कार्बन डेटिंग कराई गई है। पाण्डुलिपि पर पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने इसकी कार्बन डेटिंग कराए जाने की बात भी कही थी।  लेकिन पाण्डुलिपि के सामने आने से पूर्व अब तक यह माना जाता रहा है कि बदरीनाथ धाम में जिस आरती का पाठ किया जाता है, उसकी रचना चमोली जिले के नंदप्रयाग निवासी बदरूद्दीन ने करीब 150 साल पहले की।
श्री बद्रीनाथ में पठित आरती  के अंश कुछ इस तरह हैं.......
'पवन मंद सुगंध शीतल हेम मंदिर शोभितम् ।
निकट गंगा बहत निर्मल बदरीनाथ विश्वंभरम, श्री बदरीनाथ विश्वंभरम ।।
शेष सुमरिन करत निशदिन धरत ध्यान महेश्वरम
वेद ब्रहमा करत स्तुति श्री बदरीनाथ विश्वंभरम, श्री बदरीनाथ विश्वंभरम।।
वहीं दूसरी तरफ धन सिंह बर्तवाल की आरती की पांडुलिपि भी लगभग उतनी ही पुरानी बताई जा रही थी । यह आरती 11 पदों की है, जो कि वर्तमान में प्रचलित आरती से चार पद अधिक है। हालांकि आरती में समानता है, लेकिन संयोजन में अंतर नजर था। लेकिन नंदप्रयाग निवासी बदरूद्दीन की कहीं पाण्डुलिपि नहीं मिल पायी है। लेकिन अब कार्बन डेटिंग से स्पष्ट हो गया है कि श्री बद्रीनाथ जी की आरती स्व. धन सिंह बर्तवाल द्वारा संवत 1938 (सन 1881) में लिखित है। इससे पूर्व बर्तवाल के परिजनों ने बद्रीनाथ जी की आरती की मूल पांडुलिपि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को भेंट की जिसकी कार्बन डेटिंग हुई है।

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