शनिवार, 19 अक्तूबर 2013

उत्तराखंड शहीदों का सपना नहीं हुआ साकार: कुंजवाल

मुजफ्फरनगर। विधानसभा उत्तराखंड के अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि 'जल, जंगल, जमीन व जवानी' बचाने का जो सपना उत्तराखंड पृथक राज्य की लड़ाई के वक्त शहीदों ने देखा था, वह आज तक साकार नहीं हो सका है। उत्तराखंड में आने वाली सरकारें तरक्की की सही नीति नहीं बना सकीं। उत्तराखंड गठन के बाद पर्वतीय इलाकों के विकास का मकसद पूरा नहीं हुआ।
बुधवार को विस अध्यक्ष ने शहीद स्मारक पहुंचकर रामपुर तिराहा कांड के शहीदों को श्रद्धाजंलि अर्पित की। मुजफ्फरनगर के रामपुरम में पत्रकार संजीव चौधरी के आवास पर पत्रकारों से बातचीत में विधान सभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की सोच सभी को साथ लेकर देश की तरक्की करने की थी। उनके सिद्धांत अपनाकर देश में असमानता की खाई पाटी जा सकती है।
उत्तराखंड पृथक राज्य गठन में शहीदों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि 'जल, जंगल, जमीन, जवानी' बचाने के नारे के साथ राज्य गठन की लड़ाई लड़ी गई थी। शहीदों की शहादत के कारण अलग प्रदेश जरूर मिल गया, लेकिन तरक्की का जो सपना शहीदों ने देखा था, वह आज तक प्रदेश की सरकारें साकार नहीं कर सकीं। तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में विकास के लिये नीति तैयार हुई थी, लेकिन बाद की सरकारें सुस्त पड़ गई।
सबसे पहले उत्तराखंड के युवाओं के बढ़ते पलायन को रोजगार परक नीति बनाकर रोकना होगा। आम आदमी की आर्थिक आमदनी बढ़ाने को कदम उठाना होगा। उन्होंने पृथक राज्य की मांग को दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर बर्बरता को दुखद बताते हुए कहा कि रामपुर तिराहा कांड के दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा को बनाये रखने के लिये अपराधिक लोगों के प्रवेश को बंद करना होगा।

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