अंतिम दौर में सीएम हरीश ने दिया राका को झटका
आखिकार जनभावनाओं की ही हुई जीत
अतुल बरतरिया / राजेन्द्र जोशी
दरअसल, ‘राका’ के नाम से आम लोगों में पहचान रखने वाले इस अफसर ने मुख्य सचिव बनने के लिए पूरी लामबंदी कर रखी थी। इसके लिए दो काबीना मंत्रियों और एक बड़े कांग्रेसी नेता को भी लगाया गया था। इस नेता के समय में राकेश शर्मा बतौर सुपर सीएस के रूप में काम करते रहे थे। इतना ही नहीं अपने गुट के कुछ जूनियर अफसरों को तो इस राका ने बकायदा सीएम के पास भेजा। तर्क दिया गया कि उत्तराखंड के कम काम करने वाले अफसरों को मुख्य सचिव की कुर्सी न दी जाए। बताया जा रहा है कि राका ने सीएम की किचन कैबिनेट के कुछ लोगों को भी अपने पक्ष में कर लिया था। ये लोग अपने स्तर से सीएम हरीश पर दबाव बना रहे थे। खनन और शराब कारोबार से जुड़े लोग भी राकेश को ही मुख्य सचिव बनाने की पैरवी करने में जुटे थे।
दूसरी तरफ सीएम पर आम लोगों का भी दबाव बन रहा था। सोशल मीडिया में इस अफसर के कारनामे आए दिन सुर्खियों में रहते रहे हैं। इसी अफसर के सिडकुल में किए गए कारनामे को लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। हाईकोर्ट इस पर सुनवाई भी कर रहा है। कुछ कांग्रेसी नेताओं ने भी इस अफसर की कार्य़प्रणाली को लेकर सीएम से शिकायत कर रखी थी। इसके बाद भी माना यही जा रहा था कि अंतिम समय में बाजी राका के हाथ ही लगेगी। लेकिन सीएम हरीश ने आखिरकार जनभावनाओं का सम्मान किया और राका को मौका नहीं दिया। माना जा रहा है कि अगर राकेश शर्मा मुख्य सचिव की कुर्सी तक पहुंचने की अपनी मुहिम में सफल हो जाते तो आम जनमानस में इसका सरकार के खिलाफ संदेश जाता।
रविशंकर की कार्यप्रणाली पर रहेगी नजर
केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर तैनात वरिष्ठ अफसर उत्तराखंड लौटने को तैयार भी नहीं हो रहे थे। एक अफसर को लाने के लिए सीएम ने केंद्र सरकार के एक मंत्री से खुद भी फोन पर बात की। मंत्री ने अफसर को रिलीव करने से मना कर दिया। इस पर सीएम ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करने की बात की। इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री ने साफ कर दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो वे प्रधानमंत्री से भी बात करने को तैयार हैं। मंत्री का ऐसा रुख देखकर सीएम ने दूसरे विकल्प तलाशने शुरू कर दिए। बताया जा रहा है कि सीएम ने अपने स्तर से ही केंद्र सरकार स्तर पर बात की और एन रविशंकर को उत्तराखंड के लिए कार्यमुक्त करवा लिया। सीएम पर राका को लेकर दबाव इतना ज्यादा था कि उन्होंने इस मुद्दे पर किसी से बात नहीं की और रविशंकर उत्तराखंड में ज्वाइनिंग देते ही उन्हें मुख्य सचिव पद पर तैनात कर दिया। माना जा रहा है कि अगर यह मामला प्रचारित हो जाता तो सीएम पर चौतरफा दबाव बढ़ जाता।
मामला चाहे सिडकुल घोटाले का हो या अल्ट्राटेक को त्यूनी व सोमेश्वर में सीमेंट प्लांट लगाने के लिए भूमि का अथवा कोकाकोला को छरबा में जमीन आबंटन का इसके अलावा डी एस ग्रुप को सितारगंज में जमीन का इन सभी मामलों के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के सपनों के सॉफ्टवेयर पार्क(I T Park ) के लिए आरक्षित जमीनों को भू-माफियाओं को औने पौने दामों पर ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि देने के अलावा राज्य में गंगा में खनन का व स्टोन क्रेशर का यह अधिकारी हमेशा से ही चर्चाओं में रहा है ,इतना ही उत्तराखंड के तमाम निर्माण कार्यों में उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम व कई और बाहरी प्रदेशों की निर्माण एजेंसियों को काम देने को लेकर भी ‘’राका’’ चर्चाओं में रहे. वैसे तो इनके घोटालों व घपलों की फेहरिश्त काफी लम्बी है जिनमे से कई पर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लंबित है.
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