शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

उत्तराखंड के पहाड़ी अंचलों में महिलाओं का शराब व शराबियों के खिलाफ अभियान ने दिखाया रंग

ये महिलाएं शराबियों की पिटाई ही नही करती  बल्कि बिच्छू घास से सिकाई तक भी करती हैं 

राजेन्द्र जोशी 
देहरादून : राज्य सरकार के लिए भले ही शराब का धंधा कमाई का जरिया हो लेकिन आपदा प्रभावित मन्दाकिनी घाटी सहित गंगा घाटी सहित गढ़वाल मंडल के कई गांवों की महिलाओं ने अपने- अपने गांवों में शराब के खिलाफ कमर कस ली है। इन इलाकों के पुरुषों की शराबखोरी पर लगाम लगाने के लिए इन्होंने लाठियां थामी और जरूरत पड़ने पर शराबियों की पिटाई ही नही की बल्कि बिच्छू घास से सिकाई तक की। महिलाओं का यह आन्दोलन यदि परवान चढ़ा तो आने वाले दिनों में  ‘सूर्य अस्त- पहाड़ मस्त ' की बात केवल कहने की ही रह जाएगी. राज्य के पर्वतीय अंचलों में शराबियों व शराब के खिलाफ महिलाओं की मुहिम का असर कई गांवों भी दिखायी देने लगा है। कई गांव अब शराबियों के उत्पात से मुक्त हो चुके हैं। उत्तराखंड के गुप्तकाशी में करीब तीन सौ परिवारों वाले नारायणकोटी गांव की महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर जो मुहिम छेड़ी, उसके कारण अब यहां कोई शराब नहीं पीता। वहीँ गंगा घाटी में उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लाक के टकनौर क्षेत्र के कई गांवों में महिलाओं ने आठ सदस्यीय समिति गठित कर शराब विरोधी अभियान चला रखा है। वह शादी में शराब परोसने का विरोध करने के साथ नशे से होने वाले नुकसान के बारे में भी बता रही हैं। महिलाओं की जागरूकता के चलते उत्तराखंड के कई गांवों में शराब का प्रचलन बंद हो गया है। इसी ब्लाक के कमद, कुमारकोट, ठांडी, बागी, भडकोट, मानपुर लक्षेश्वर बाडाहाट तथा चिन्यालीसौड़ ब्लाक की बचनौरा क्षेत्र की महिलाओं ने भी नशामुक्ति अभियान चलाने के लिए समिति बनाई है। वहीँ टिहरी के थौलधार ब्लाक में नगुण पट्टी के गांव भरदार तिरछा में बीती अगस्त में दो शराबी जो हुड़दंग मचा रहे थे। रोज-रोज के ऐसे किस्सों से परेशान पत्नियों ने उन्हें रस्सी से बांध दिया। प्रत्येक पर पांच सौ रुपए का जुर्माना लेने के बाद उन्हें छोड़ा गया। मन्दाकिनी घाटी के नारायणकोटी गांव की महिला मंगल दल की अध्यक्ष शीलावती धनाई का कहना है कि पहले गांव के बच्चे भी शराब के नशे में रहते थे। शाम को महिलाओं का घरों से बाहर निकलना मुश्किल था। मैंने ग्राम प्रधान व महिलाओं से बातचीत कर संगठन तैयार किया। अब हमने पूर्ण शराबबंदी का संकल्प लिया है।
   शराब विरोधी अभियान की ये महिलाएं एकजुट होकर शाम को शराबियों को रंगे हाथ पकड़ने के लिए पूरे गांव का दौरा करती हैं। इन्होंने तय किया कि पहली बार शराब पीते पकड़ जाने पर महिला मंगल दल पांच हजार रुपए का जुर्माना व माफीनामा लेगा। लेकिन दूसरी बार सामाजिक बहिष्कार के साथ पुलिस को भी सौंपा जाएगा। गौर्ताब हो कि लगभग सात-आठ सालों में शराब से गांव के दो लोगों की मौत हो गई थी। उस समय भी कुछ लोगों ने शराब का विरोध किया लेकिन यह ज्यादा दिन तक नहीं चल सका। कई साल बाद महिलाओं ने गांव में पूर्णरूप से शराबबंदी का संकल्प लिया। इसके लिए महिला मंगल दल अध्यक्ष शीलावती धनाई और ग्राम प्रधान जमुना देवी पुजारी ने सभी महिलाओं को संगठित कर रेकी टीम बनाई। इस टीम में सुलेखा देवी, नर्मदा रावत, बैशाखी देवी, सुशीला राणा सहित अन्य महिलाएं शामिल हैं। इसके बाद महिला मंगल दल की अध्यक्ष उषा पंवार, सरोजनी, उमा, पार्वती , रेखा, जशोदा आदि महिलाओं ने पंचायत कर शराब पीने पर पांच सौ जुर्माना और सामाजिक बहिष्कार का निर्णय लिया। इसके बाद से शराबियों के हुड़दंग का कोई मामला सामने नहीं आया।
वहीँ गोपेश्वर के समीप पाडुली गांव की महिलाओं ने भी शराब पीकर उत्पात मचाने वालों से जुर्माना वसूलने का निर्णय लिया है। महिलाओं ने बीते नवंबर में रात्रि पहरे की योजना बनाई थी। एक माह में ही इसका असर दिखाई देने लगा है। पाडुली के समीप करीब सात गांव हैं जिनको शराबियों के हुड़दंग से काफी हद तक मुक्ति मिल गई है।
गुप्तकाशी के नारायणकोटी गांव में महिला मंगल दल के नेतृत्व में शराबंबदी को लेकर 12 नवंबर से अभियान शुरू किया। यह दल हर रोज शाम को गांव से लेकर स्थानीय बाजार में यह देखती हैं कि कही गांव का कोई व्यक्ति शराब पीकर उत्पात तो नहीं मचा रहा है। वहीँ शादी-विवाह में रात के 10 बजे तक ये डंडा लेकर गश्त करती हैं। अब तक ये चार-पांच शराबियों की पिटाई भी कर चुकी हैं।
गोपेश्वर के समीप पाडुली गांव की महिलाओं ने अब शराब के विरोध में रात में पहरा देना शुरू कर दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव में एक माह के भीतर तीन शादी समारोह हुए लेकिन किसी भी समारोह में शराब नहीं परोसी गई और न आम रास्तों और गांव में कोई शराब पीकर झूमता दिखाई दिया। वहीँ उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लाक के टकनौर क्षेत्र की महिलाओं ने शराब विरोधी अभियान के लिए आठ सदस्यीय समिति गठित कर रखी है। यह समिति कई सालों से क्षेत्र में शराब विरोधी अभियान चलाए हुए हैं। फलस्वरूप क्षेत्र के कई गांवों में शराब का प्रचलन बंद हो गया है। टिहरी के थौलधार ब्लाक में ग्राम पंचायत भरदार तिरछा में महिलाओं का शराबबंदी आंदोलन रंग लाया है। इन्होंने पंचायत कर शराबियों पर पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाने और उसका सामाजिक बहिष्कार करने का निर्णय लिया। इसके बाद गांव में अभी तक किसी भी विवाह समारोह या कार्यक्रम में कॉकटेल पार्टी नहीं हुई। जबकि भरदार के तिरछा गांव के पूर्व प्रधान वीरेंद्र पाल का कहना है कि शराबियों को पकड़कर जुर्माना वसूलने के बाद गांव में पांच-छह विवाह समारोह हुए हैं, लेकिन महिलाओं की डर से कहीं भी कॉकटेल पार्टी नहीं हुई है। जबकि इससे पहले शादी से पूर्व मैदानी जिलों की तर्ज पर यहाँ भी कॉकटेल पार्टी हुआ करती थी.

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