मंगलवार, 13 जनवरी 2015

जाते -जाते उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति का ''खेल'' कर गए कुरैशी

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देहरादून। उत्तराखण्ड से जाते-जाते डा. अजीज कुरैशी कुलाधिपति की हैसियत से उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति कर गए। कार्यभार छोड़ने के ठीक पहले उन्होंने वर्तमान कुलपति को ही अगले तीन वर्ष के लिए फिर कुलपति बनाने का आदेश जारी कर दिया। कुलाधिपति के इस तरह के आदेशों से शंकाओं के सुई अब कुलाधिपति की ओर धूम गयी है कि आखिर न्थानानान्तरण हो जाने के बाद उनको इस तरह के आदेश क्यों करने पडे़। 
निवर्तमान राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के भावी कुलपति के लिए भी वर्तमान कुलपति डा. सतेंद्र प्रसाद मिश्रा की नियुक्ति कर दी। डा. सतेंद्र मिश्रा पूर्व में जनवरी 2010 में विश्वविद्यालय के प्रथम   कुलपति नियुक्त हुए थे। जनवरी 2013 में उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही उन्हें एक वर्ष के लिए सेवा दे दिया गया। सेवा विस्तार के बाद उनका कार्यकाल आगामी 15 जनवरी को समाप्त होने वाला था। 
    विगत दिनों कुलपति का कार्यकाल समाप्त होने की तिथि नजदीक आने पर सरकार ने नए कुलपति के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाध्ीश की अध्यक्षता में सर्च कमेटी का गठन किया था। बताया जा रहा है कि विगत दिनों सर्च   कमेटी की बैठक ऋषिकेश में हुई थी। जिसमें डा. मिश्रा को ही पुनः कुलपति बनाने की संस्तुति की गई। इस बीच भारत सरकार ने राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी का स्थानांतरण मिजोरम के लिए कर दिया था। स्थानांतरणाधीन होते हुए भी डा. कुरैशी विगत 7 जनवरी को डा. सतेंद्र प्रसाद मिश्रा को कुलपति नियुक्त करने का आदेश जारी कर गए। 
गत 7 जनवरी को ही नए राज्यपाल डा. कृष्णकांत पाॅल देहरादून पहुंच चुके थे। उन्हें 8 जनवरी को शपथ लेनी थी। उनके शपथ लेने से पहले ही अगले कुलपति के आदेश हो गए। डा. सतेंद्र मिश्रा सेवा विस्तार का कार्यकाल संपन्न होने की तिथि के बाद कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से अगले तीन वर्ष तक के लिए पिफर कुलपति नियुक्त किए गए हैं। सूत्रोे से मिली जानकारी के अनुसार आयुर्वेद विश्वविद्यालय के एक चर्चित अधिकारी ने डा. सत्येंद्र मिश्रा के कार्यकाल को बढ़वाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की ।

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